मद्रास हाईकोर्ट ने 62 वकीलों को सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन दिया

Sharafat

12 Jan 2023 10:08 AM GMT

  • मद्रास हाईकोर्ट ने 62 वकीलों को  सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन दिया

    मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को कुल 62 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के डेसिग्नेशन से नामित किया।

    रजिस्ट्रार जनरल, मद्रास हाईकोर्ट द्वारा जारी एक अधिसूचना में निम्नलिखित वकीलों को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 16 (2) के तहत अदालत की शक्तियों के प्रयोग में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया है।

    1. एन चंद्रशेखरन

    2. ए. वी. सोमसुंदरम

    3. एन जोती

    4. एस नटराजन

    5. टी.एस.आर.वेंकटरमण

    6. एस विजयकुमार

    7. के. रवि

    7. वी.एस. जयकुमार

    8. के. आर. तमीज़ मणि

    9. सी टी मोहन

    11. के. एम. रमेश

    12. के. बालासुंदरम

    13. पी. एल. नारायणन

    14. कृष्णा श्रीनिवासन

    15. के. श्रीनिवासन

    16. जयेश बी डोलिया

    17. एम. वी. वेंकटेशन

    18. एन अनंतपद्मनाभन

    19. आर राजरथिनम

    20. वी. राघवाचारी

    21. वी. पी. सेनगोट्टुवेल

    22. टी. प्रमोद कुमार चोपड़ा

    23. एम अरविंद सुब्रमण्यम

    24. जी कार्तिकेयन

    25. पी. वी. एस. गिरिधर

    26. के. रवि अनंत पद्मनाभन

    27. आर श्रीनिवास

    28. के.एस. विश्वनाथन

    29. सी. अरुल वडिवेल @ सेकर

    30. एस रवि

    31. टी. लाजपथिरॉय

    32. रवि शनमुगम

    33. पी. कुमारेसन

    34. एन. मुरलीकुमारन

    35. अल। गणथीमथी

    36. पी. एम. सुब्रमण्यम

    37. एम. सुभाषबाबू

    38. आर भास्करन

    39. दक्षिणायनी रेड्डी

    40. टी. मोहन

    41. के.के. सेंथिलवेलन

    42. जी. शंकरन

    43. जे शिवानंदराय

    44. एस.आर. राजगोपाल

    45. एन ए निसार अहमद

    46. ​​ए अब्दुल हमीद

    47. ए. के. श्रीराम

    48. आर. पार्थसारथी

    49. अब्दुल सलीम

    50. श्रीनाथ श्रीदेवन

    51. पी. वल्लियप्पन

    52. के.पी.एस. पलानीवेल राजन एस.मुकुंठ

    53. एस मुकुंठ

    54. जे. रवींद्रन

    55. पी. वी. बालासुब्रमण्यम

    56. बी सरवनन

    57. टी. गौतमन

    58. आर गांधी

    59. आर. जॉन सथ्यन

    60. अबुदु कुमार राजारत्नम

    61. हसन मोहम्मद जिन्ना

    62. एम. श्रीचरण रंगराजन

    हाईकोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट के डेसिग्नेशन में महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग वाली याचिका को खारिज करने के कुछ दिनों बाद इन वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया।

    अदालत ने कहा कि एक वकील को सीनियर एडवोकेट का दर्जा देना एक विशेषाधिकार है, पद नहीं।

    'द एडवोकेट्स एक्ट, 1961 (1961 का 25)' की धारा 16 के तहत वकील को सीनियर एडवोकेट का दर्जा देना स्पष्ट रूप से एक विशेषाधिकार है, न कि पद। इसलिए आरक्षण की कोई भी प्रार्थना गलत है

    जस्टिस एम सुंदर और जस्टिस एन सतीश कुमार की पीठ एस लॉरेंस विमलराज की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीनियर एडवोकेट के पदनाम में महिला वकीलों के लिए समान संख्या या 30% आरक्षण की मांग की गई थी।

    याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास याचिका के साथ आगे बढ़ने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह न तो आवेदक है और न ही पीड़ित व्यक्ति जिसके अधिकार प्रभावित हुए हैं।

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