मद्रास हाईकोर्ट ने लॉ ग्रेजुएट्स के लिए हाई इनरोलमेंट फीस के मुद्दे पर बीसीआई, स्टेट बार काउंसिल से जवाब मांगा

Sharafat

9 May 2023 3:37 PM GMT

  • मद्रास हाईकोर्ट ने लॉ ग्रेजुएट्स के लिए हाई इनरोलमेंट फीस के मुद्दे पर बीसीआई, स्टेट बार काउंसिल से जवाब मांगा

    मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु और पुडुचेरी की बार काउंसिल को पांचवें वर्ष के लॉ स्टूडेंट मणिमारन की उस याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है, जिसमें लॉ ग्रेजुएट्स से उसके द्वारा लिए जाने वाली इनरोलमेंट फीस को चुनौती दी गई है।

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की पीठ ने प्रथम दृष्टया इस बात पर सहमति जताई कि यह राशि बहुत अधिक है और याचिका पर नोटिस जारी किया। बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य सरकार को भी कोर्ट ने नोटिस जारी किया।

    मणिमारन ने तर्क दिया कि राज्य बार काउंसिल अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित उम्मीदवारों से 11,100 रुपये और सामान्य वर्ग से 14,000 रुपये ले रही है।

    उन्होंने तर्क दिया कि अधिवक्ता अधिनियम की धारा 24(1)(एफ) के अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया को केवल 600 रुपये और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को 500 रुपये का भुगतान करना होता है। स्टेट बार काउंसिल को1 50 रु याने कुल. 750 रुपए का भुगतान करना होता है। इसके अलावा, यह बताया गया कि इस खंड के प्रावधान के अनुसार, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित उम्मीदवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट बार काउंसिल को क्रमशः केवल 100 और 25 रुपये का भुगतान करना पड़ता था।

    मणिमारन ने आगे तर्क दिया कि राज्य बार काउंसिल एक "अवैध कार्य" कर रही है जो कानूनी स्थिति के लिए कुल अवहेलना में इतनी अधिक इनरोलमेंट फीस का दावा करके कानूनी पेशे के लिए हानिकारक है।

    उन्होंने अदालत के संज्ञान में यह भी लाया कि सरकारी लॉ कॉलेजों में शिक्षण शुल्क 500 रुपये से अधिक नहीं है। उन्होंने कहा कि जब बार काउंसिल बिना किसी रियायत के इतनी अधिक राशि वसूल कर रही है, तो इससे कम विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे प्रभावित होंगे।


    केस टाइटल : मणिमारन बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य

    केस नंबर: WP (MD) 8756/2023

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