"रिश्वत देकर सार्वजनिक रोजगार प्राप्त नहीं किया जा सकता": मद्रास हाईकोर्ट ने जॉब रैकेट मामले की जांच के दौरान जब्त 10 लाख रुपये की अंतरिम कस्टडी की मांग वाली याचिका खारिज की
Brij Nandan
21 Jun 2022 11:03 AM IST
एक जॉब रैकेट मामले में जब्त 10 लाख रुपये की अंतरिम कस्टडी की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) के जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती ने नौकरी पाने के लिए लोग जिस तरह से बड़ी रकम देने को तैयार थे, उस पर नाराजगी व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक नियुक्तियां एक चयन प्रक्रिया के माध्यम से की जाती हैं और रिश्वत देकर प्राप्त नहीं की जा सकती हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसे व्यक्तियों को यह एहसास नहीं है कि इस तरह के वेतन को अर्जित करने में वर्षों लग जाते हैं और उनसे अधिक अंक प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की दुर्दशा के बारे में कोई विचार नहीं किया जाता है।
अदालत ने कहा,
"सभी संबंधितों को यह समझना होगा कि सार्वजनिक नियुक्ति केवल चयन प्रक्रिया से होती है और रिश्वत देकर कोई नौकरी प्राप्त नहीं की जा सकती है। लेकिन इस मामले में, यह देखा गया है कि याचिकाकर्ता ने अपनी पूरी जानकारी के साथ क्लास-I के तहत नौकरी हासिल करने के उद्देश्य से 78 लाख रुपये की बड़ी राशि दी है, बिना यह सोचे कि एक व्यक्ति को इतना वेतन कमाने में कितने साल काम करना होगा और और बिना किसी पछतावे कि उस व्यक्ति का क्या होगा, जिसने अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इसलिए, यह कोर्ट मुकदमे में तेजी लाने के लिए कोई आदेश पारित करने के इच्छुक नहीं है और याचिका खारिज किए जाने योग्य है।"
मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता जॉब रैकेटिंग का शिकार हुआ था। जांच के दौरान पुलिस ने कुछ राशि जब्त की थी और आरोपियों के खाते फ्रीज कर दिए थे।
याचिकाकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 451 और 457 के तहत अंतरिम कस्टडी के रूप में 10 लाख रुपये की वापसी के लिए एक आवेदन दायर किया। हालांकि, इसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया, जिन्होंने कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है और मामले का फैसला केवल सुनवाई के दौरान ही किया जा सकता है।
इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने इस आदेश को रद्द करने और आरोपी के खाते में 10 लाख रुपये की अंतरिम कस्टडी का निर्देश देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता एक लालची व्यक्ति प्रतीत होता है जिसने क्लास-I की नौकरी पाने के लिए 78 लाख रुपये का भुगतान किया था। इसके अलावा, उसने मुकदमे के पूरा होने का इंतजार किए बिना पैसे की वापसी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया क्योंकि तभी कोई स्पष्ट निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
केस टाइटल: के.सदागोपन बनाम राज्य प्रतिनिधि, पुलिस निरीक्षक एंड अन्य
केस नंबर: सीआरएल.आर.सी.नंबर 695 ऑफ 2022
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 259
याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट एन ए रविंद्रन
प्रतिवादियों के लिए वकील: एस विनोथ कुमार, सरकारी वकील
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