मद्रास हाईकोर्ट ने COVID संक्रमित डॉक्टर के शव को दफनाने से रोकने वाले आरोपियों को जमानत दी
LiveLaw News Network
24 May 2020 8:45 AM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को उन सभी 11 आरोपियों को जमानत दे दी है,जिन पर एक एक डॉक्टर के शव को दफनाने से रोकने का आरोप था। COVID-19 संक्रमण के बाद इस डाटक्र की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार की एकल पीठ ने कहा कि अभियुक्तों ने विवेकहीन तरीके से काम किया क्योंकि वे घातक वायरस के बारे में फैली हुई ''अफवाहों से डर गए थे।''
न्यायमूर्ति निर्मल कुमार ने पूछा कि क्या अधिकारी स्थानीय निवासियों के समक्ष COVID संक्रमित शरीरों को दफनाने की प्रक्रिया और सुरक्षा उपायों की व्याख्या करने में पर्याप्त सतर्क थे? अगर ऐसा होता हो इस तरह की घटना को रोका जा सकता था।
पीठ ने कहा कि
''यह देखने में आया है कि सभी याचिकाकर्ता और स्थानीय निवासी घातक वायरस के प्रसार की अफवाहों से डर गए थे और यही कारण है कि उन्होंने डॉक्टर के शरीर को दफनाने के दौरान अपना विरोध व्यक्त किया था। यदि अधिकारियों ने दफनाने की प्रक्रिया और उसके संबंध में बरते जाने वाले एहतियात के उपायों के बारे में पहले से ही सूचित कर दिया होता, तो स्थानीय निवासियों में वायरस फैलने की आशंका दूर हो जाती। जिसके बाद वह इस तरह का विरोध नहीं करते। इसके अलावा डाक्टर के शव को दफनाने के लिए भी बेवक्त ले जाया गया था।''
याचिकाकर्ता-अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला बनाया गया था। जिसमें लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने,हमला करने और आपराधिक धमकी देना आदि शामिल थे।
याचिकाकर्ता-अभियुक्तों की तरफ से दायर जमानत याचिकाओं में कहा गया था कि कि याचिकाकर्ता न तो शिक्षित हैं और न ही दुनियादारी के मामले में ज्यादा बुद्धिमान हैं। उन्होंने उनके बीच फैली एक अफवाह के आधार पर उक्त कृत्य को अंजाम दिया था। उनको पता चला था कि कोरोना से मरने वाले एक व्यक्ति का शव उनके निवास स्थानों के पास स्थित कब्रिस्तान में बिना कोई सावधानी बरते ही दफनाया जा रहा है।
यह मामला 55 वर्षीय न्यूरोसर्जन डॉ साइमन हरक्यूलिस को दफनाने से रोकने से संबंधित है। जो पिछले महीने COVID-19 पाॅजिटिव पाए गए थे,जिसके बाद हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी।
बाद में उनके शव को उनके परिजनों को सौंप दिया गया था। जो चेन्नई के किलपुक कब्रिस्तान में उन्हें सम्मान के साथ दफनाने गए थे। हालांकि इस बारे में सूचना मिलने के बाद स्थानीय लोगों की एक भीड़ कब्रिस्तान में पहुंच गई और कथित रूप से हिंसक हो गई। इस भीड़ ने डाक्टर के दोस्तों, परिवार के सदस्यों के साथ-साथ एम्बुलेंस चालक पर भी हमला कर दिया। इन लोगों का कहना था कि वह डाक्टर के शव को वहां दफनाने की अनुमति नहीं देंगे। इन लोगों को डर था कि डाक्टर का शव दफनाने से वायरस उनके इलाके में भी फैल जाएगा।
डॉ हरक्यूलिस को बाद में पुलिस सुरक्षा की मौजूदगी में दफनाया गया परंतु उनके परिजन साथ नहीं जा सकें क्योंकि पुलिस ने उन्हें किसी अन्य कब्रिस्तान में दफनाया था।
अदालत ने सभी अभियुक्तों को दस-दस हजार रुपये की राशि के व्यक्तिगत बांड भरने या निष्पादित करने की शर्त पर जमानत दे दी है। यह बांड संबंधित जेल अधीक्षक के समक्ष निष्पादित किए जाएंगे। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि एक जुलाई 2020 या उससे पहले ही उनको संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष दो जमानती भी पेश करने होंगे। अगर वह ऐसा करने में विफल रहे तो उनकी जमानत अपने आप खारिज हो जाएगी।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लिया था और अनुच्छेद 21 के तहत मिले दफनाने के अधिकार के मुद्दे पर राज्य को नोटिस जारी किया था।
तमिलनाडु अधिवक्ता संघ ने डॉ हरक्यूलिस के नश्वर अवशेषों को दफनाने की कोशिश करने वालों परिजनों पर भीड़ द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की थी।
मामले का विवरण-
केस का शीर्षक- तमिल वेंधन व अन्य बनाम राज्य
केस नंबर-सीआरएल ओपी नंबर 7450, 7531, 7544, 7545, 7590, 7591, 7591, 7592 और 7593/ 2020
कोरम-न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार
प्रतिनिधित्व-एडवोकेट एसवी कार्तिकेयन, एस शंकर, यू. युवराज और डी.गोपीकृष्णन (याचिकाकर्ताओं के लिए), अतिरिक्त लोक अभियोजक एस. कार्तिकेयन (राज्य के लिए)
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