मद्रास हाईकोर्ट ने स्कूल फ़ीस किश्तों में चुकाने के लिए निजी स्कूल संघ को योजना बनाने के निर्देश दिए

LiveLaw News Network

3 July 2020 3:45 AM GMT

  • मद्रास हाईकोर्ट ने स्कूल फ़ीस किश्तों में चुकाने के लिए निजी स्कूल संघ को योजना बनाने के निर्देश दिए

    Madras High Court

    मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को निजी स्कूल के संघों से कहा कि स्कूल फ़ीस किश्तों में चुकाने के लिए वे एक योजना तैयार करें।

    न्यायमूर्ति आर महादेवन की एकल पीठ ने यह निर्देश दिया, जिन्होंने इस बारे में कई याचिकाओं पर सुनवाई की, जिन्हें निजी स्कूल के संघों ने दायर किया था।

    पीठ ने आदेश दिया कि याचिककर्ताओं को एक उचित योजना तैयार करनी चाहिए, जिसमें संस्थानों और अभिभावकों दोनों के हितों को संतुलित किया गया हो। अदालत ने इस योजना को अंतिम निर्णय के लिए केंद्र सरकार के पास भेजने को कहा।

    याचिककर्ताओं ने लॉकडाउन के दौरान स्कूलों की ख़राब स्थिति का ज़िक्र किया था, क्योंकि इन्हें स्कूल फ़ीस वसूलने से रोक दिया गया था पर उन्हें अपने शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों को वेतन देना पड़ा और अन्य तरह के बिल आदि का भुगतान करना पड़ा।

    याचिका में विशेषकर 20 अप्रैल को जारी आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें स्कूलों को फ़ीस की ज़बरन वसूली से रोक दिया गया था।

    कहा गया कि स्कूल ऑनलाइन क्लासेज़ चला रहे हैं और छात्र इसका लाभ उठा रहे हैं इसलिए संस्थानों को ट्यूशन फ़ीस वसूलने का अधिकार है ताकि वे अपना खर्च चला सकें।

    प्रतिवादियों की दलील थी कि यह आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी किया गया था और इसमें अभिभावकों को स्वेच्छा से फ़ीस चुकाने पर पाबंदी नहीं है। यह भी कहा गया कि आदेश में फ़ीस माफ़ी की बात नहीं और यह स्कूल से महज़ एक अपील थी कि वे छात्रों को स्थिति सामान्य होने तक फ़ीस जमा करने के लिए बाध्य नहीं करें।

    जहां तक स्कूल के संस्थागत खर्चे की बात है, अथॉरिटी ने कहा कि आरटीई अधिनियम के तहत 25% सीटों के आवंटन से संबंधित प्राप्त राशि का प्रयोग अगले कुछ माह तक शिक्षकों के वेतन पर हो सकता है।

    दलील सुनने के बाद अदालत ने कहा,

    "याचिककर्ताओं को निर्देश है कि वे फ़ीस की वसूली के बारे में एक समीकरण/योजना तैयार करें जो कि समिति द्वारा तैयार फ़ीस संरचना पर आधारित नहीं हो, बल्कि कुछ समय के लिए किश्तों पर हो और यह अभिभावकों और छात्रों के अधिकारों से भेदभाव करनेवाला नहीं हो और वह इस योजना का ब्योरा सरकार को पेश करें…।

    "इस तरह के प्रतिवेदन के बाद प्रतिवादी सरकार इस पर विचार करेगी, निर्णय लेगी और अदालत में इस बारे में 06.07.2020 को या इससे पहले रिपोर्ट पेश करेगी।"

    इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 जुलाई को होगी।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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