COVID 19 से मरे पुलिसकर्मियों के ‌लिए मुआवजे की मांग वाली याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

18 Aug 2021 12:26 PM GMT

  • Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child

    MP High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर उस रिट याचिका पर मध्य प्रदेश राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें COVID-19 से मरे पुलिसकर्म‌ियों के लिए मुआवजे की मांग की गई है।

    चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की अगुवाई वाली बेंच ने बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

    याचिकाकर्ता अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी ने याचिका में महामारी से मरे पुलिसकर्मियों के ‌लिए निर्धा‌रित 50 लाख रुपय का मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने प्रस्तुत किया कि मध्य प्रदेश में फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए मुख्यमंत्री COVID-19 योद्धा कल्याण को पिछले साल 30 मार्च को लॉन्च किया गया था और यह अक्टूबर तक जारी रही थी।

    योजना के तहत कोरोना के साथ संघर्ष में शामिल अग्रिम पंक्ति के परिवारों को, फ्रंट लाइन वर्कस की मृत्यु की स्थिति में 50 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई थी, किंतु इस योजना का लाभ बहुत कम लोगों को मिला है।

    राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि जिन सरकारी योजनाओं का याचिका में उल्लेख है, उनकी प्रति संलग्न नहीं है।

    इस पर चीफ जस्टिफ ने कहा, "आप योजनाओं की प्रति लाएं और अपना जवाब दाखिल करें।"

    याचिका में कहा गया है कि योजना के तहत कोरोना के साथ संघर्ष में शामिल अग्रिम पंक्ति के परिवारों को, फ्रंट लाइन वर्कस की मृत्यु की स्थिति में 50 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई थी और मौजूदा साल में दूसरी लहर के दरमियान दो महीने 1 अप्रैल-31 मई के लिए योजना को फिर से शुरू किया गया था।

    य‌ाचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 152 पुलिसकर्मियों ने पहले लॉकडाउन के बाद से COVID-19 के कारण दम तोड़ दिया था। पहली लहर में लगभग 40 कर्मियों की मृत्यु हो गई थी, जबकि 112 से अधिक की की मृत्यु दूसरी लहर में हुई। अप्रैल में कम से कम 60 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी। मई में 42 से अधिक कर्मचारी मरे थे।

    मृतक पुलिसकर्मियों में अधिकांश भोपाल, इंदौर, सागर और जबलपुर जिले के निवासी थे। हालांकि, आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 'मुख्यमंत्री COVID-19 योद्धा कल्याण' योजना के तहत केवल सात पुलिसकर्मियों को लाभ मिला है और अन्य को किसी ना किसी बहाने से मुआवजे से वंचित कर दिया गया है।

    महामारी में मरे पुलिसकर्मियों के परिजनों को नहीं मिला मुआवजा यचिका में पुलिस कर्मी बाबूलाल के परिजनों को मुआवजा नहीं देने के मुद्दे को उठाया गया है। बाबूलाल, बड़वानी जिला अस्पताल की पुलिस चौकी का प्रभारी था। COVID-19 की पहली लहर में उस पर पोस्टमार्टम, पंचनामा जारी करना, और शवों को दाह संस्कार के लिए भेजने की जिम्‍मेदारी थी। 12 जुलाई 2020 को तेज बुखार और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखने के महज छह घंटे के भीतर उसका निधन हो गया। उसका अंतिम संस्कार COVID-19 प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।

    याचिका में कहा गया है कि बाबूलाल अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला था, और उसके बाद परिवार में उसकी पत्नी, चार बेटियां, एक बेटा, और एक पोता है। बाबूलाल के जैसे ही कई अन्य पुलिसकर्मियों की भी काम करते हुए COVID 19 के कारण मौत हो गई। हालांकि फ्रंट लाइनर वर्कर होने के बावजूद सरकार ने उन्हें लाभ देने से इनकार किया है, जिसके वह 'मुख्यमंत्री COVID-19 योद्धा कल्याण' योजना के तहत हकदार हैं। याचिकाकर्ता ने बताया है कि बाबूलाल की पत्नी भगवती देवी को ‌प‌िछले साल स्वंतत्रता दिवस पर "कोविड योद्धा सम्मान" के तहत बड़वानी जिला कलेक्टर ने प्रमाण पत्र भी दिया था। याचिका में कहा गया है कि बाबूलाल की मौत COVID-19 से हुई थी और अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही से उस COVID टेस्ट नहीं हो सका था।

    याचिका में कहा गया है कि बाबूलाल ऐसे 27 पुलिसकर्मियों में शामिल थे,जिन्होंने मध्य प्रदेश में महामारी के दौरान अपनी जान गंवाई। लेकिन विभिन्न स्थितियों के कारण, उनके परिवारों को मुआवजे से इनकार कर दिया गया। याचिका में कहा गया है कि मृत पु‌लिसकर्मियों को मुआवजे से इनकार मध्य प्रदेश सरकार का अस्वीकार्य और कपटपूर्ण कृत्य है और यह अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में परमादेश की प्रकृति की एक रिट जारी करने की मांग की गई है, जिसके तहत उत्तरदाताओं को फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया जाए। साथ ही, याचिका में कहा गया है कि मामले के तथ्य और परिस्थितियां के अनुसार उचित राहत भी प्रदान की जाए।

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