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राज्यसभा चुनाव पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज की

LiveLaw News Network
18 Jun 2020 1:37 PM GMT
राज्यसभा चुनाव पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज की
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य में राज्यसभा चुनावों को रोकने के लिए जो जनहित याचिका दायर की गई थी उसे ख़ारिज कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके मित्तल और जस्टिस वीके शुक्ला की पीठ ने याचिका को संविधान के अनुच्छेद 329(b) के तहत स्वीकार करने के योग्य नहीं माना। याचिका डॉक्टर अमन शर्मा ने दायर की थी।

संविधान के अनुच्छेद 329(b) के अनुसार संसद या राज्य विधानसभा के किसी भी सदन के चुनाव पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। ऐसा सिर्फ़ चुनाव याचिका के माध्यम से ही किया जा सकता है और वहां भी इसे उपयुक्त अथॉरिटी के समक्ष क़ानून के अनुरूप पेश करना होगा।

यह कहा गया कि याचिककर्ता न तो राज्यसभा के इस चुनाव में वोटर है और न ही उसके किसी वैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

इस बारे में मोहिंदर सिंह गिल और अन्य बनाम मुख्य चुनाव आयुक्त, नई दिल्ली और अन्य (1978) 1 SCC 405 मामले में आए फ़ैसले पर भरोसा जताया गया।

इस फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 329(b) और 226 के प्रावधानों की चर्चा करते हुए कहा था,

"अनुच्छेद 329(b) चुनाव आयोग और उसके अधिकारियों द्वारा उठाए गए चुनाव संबंधी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के क़दमों को चुनौती देने के किसी भी प्रयास पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है…।"

इस मामले की मेरिट के बारे में आयोग ने अदालत में कहा कि विधानसभा में जो रिक्तियां हैं, उनका राज्यसभा के चुनावों से कोई लेना देना नहीं है। यह कहा गया कि रिक्तियां अनिश्चित हैं और यह चुनाव को स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता जो कि होना है। आयोग ने आश्वासन दिया कि महामारी के दौरान सुरक्षित चुनाव कराने के लिए सभी ज़रूरी उपाय किए गए हैं।

पीठ ने चुनाव आयोग के वक़ील की दलील से सहमति जतायी।

अदालत ने कहा,

"…अदालत हिचकते हुए ही कार्रवाई करेगी और वह तब तक कोई क़दम नहीं उठाएगी जब तक कि यह पूरी तरह स्पष्ट न हो जाए कि उसके हस्तक्षेप का मज़बूत आधार मौजूद है, जिसे दलीलों के माध्यम से उठाया गया है और ज़रूरी सामग्री इसका समर्थन करती हैं।"

अदालत ने कहा,

"हम वर्तमान रिट याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हैं लेकिन इसे याचिकाकर्ता के लिए खुला छोड़ देते हैं कि वह कानून के अनुसार, उसके पास उपलब्ध उपचार प्राप्त करे। हालांकि, हम द्वारा उठाए गए सामग्री के गुणों पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं, जैसा कि याचिकाकर्ता के के वकील ने दलील पेश की हैं।"

चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि राज्य में खाली हुए राज्यसभा के तीन सीटों के चुनाव 19 जून 2020 को होंगे।

याचिकाकर्ता ने वक़ील अभिनव धनोदकर के माध्यम से इस चुनाव को स्थगित किए जाने की मांग की और कहा कि इस चुनाव में सदन के दसवें हिस्से से अधिक का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा क्योंकि राज्य के 24 विधानसभा सीट ख़ाली हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 152 के अनुसार, विधानसभा के सदस्य इस चुनाव में वोटर होंगे जो राज्य के 230 चुनाव क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन 24 विधानसभा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को इस अधिकार से वंचित होना पड़ेगा और इनके वोट से इस चुनाव के परिणाम पर असर पड़ सकता है।

अदालत ने प्रतिवादियों के प्रारंभिक आपत्तियों को मानते हुए याचिका को ख़ारिज कर दिया।

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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