जानलेवा कफ सिरप मामला: बच्चों को दवा लिखने वाले डॉक्टर की जमानत याचिका खारिज

Amir Ahmad

13 Oct 2025 2:15 PM IST

  • जानलेवा कफ सिरप मामला: बच्चों को दवा लिखने वाले डॉक्टर की जमानत याचिका खारिज

    मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा कोर्ट ने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी की जमानत याचिका खारिज की, जिन पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को जानबूझकर जहरीला Coldrif कफ सिरप लिखने का गंभीर आरोप है। आरोप है कि इस सिरप के कारण बच्चों में गुर्दे की गंभीर समस्याएं हुईं और उनकी मृत्यु हो गई।

    एडिशनल सेशन जज गौतम कुमार गुजरे ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए अपने अवलोकन में कहा,

    "मामले में संकलित साक्ष्य से अभियुक्त के विरुद्ध आक्षेपित अपराध के दृढ़ आधार प्रकट हैं।"

    कोर्ट ने दर्ज FIR का हवाला देते हुए टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि अन्य व्यक्तियों द्वारा निर्मित खतरनाक मिलावटी दवा जिससे बच्चे की मृत्यु हो सकती थी, यह जानते हुए भी नाबालिग बच्चों को दी गई तथा घटना की जानकारी होने के बावजूद भी संबंधित प्रिस्क्रिप्शन की दवा दी गई।

    4 अप्रैल, 2025 को डॉक्टर द्वारा पसारसिया पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि कफ सिरप में कथित रूप से जहरीले मिलावटी पदार्थ डाइएथिलीन ग्लाइकॉल के सेवन से बच्चों की मौत हुई।

    FIR में दावा किया गया कि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सामान्य सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत थी। अधिकांश बच्चों का इलाज बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी ने किया था।

    रिपोर्ट के अनुसार डॉ. सोनी ने लगभग 10 बच्चों का Coldrif कफ सिरप से इलाज किया, जिसके बाद उन्हें गुर्दे संबंधी समस्याएं आईं। बाद में उन्हें दूसरे डॉक्टर के पास भेजा गया लेकिन दुर्भाग्यवश उन सभी की मृत्यु हो गई। कुल मिलाकर यह दावा किया गया कि Coldrif सिरप से मूत्र प्रतिधारण (Urinary Retention) और तीव्र गुर्दे की बीमारी के कारण कुल 15 बच्चों की मृत्यु हुई।

    तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित Coldrif कफ सिरप में प्रतिबंधित पदार्थ डाइएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया।

    डॉ. सोनी पर अन्य लोगों के साथ मिलकर जानबूझकर ऐसी खतरनाक मिलावटी दवा बनाने और फिर उसे बच्चों को देने के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया गया।

    डॉ. सोनी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 276 (जानबूझकर एक दवा को दूसरी दवा के रूप में बेचना) और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 27 (अवैध रूप से सौंदर्य प्रसाधनों का निर्माण, बिक्री या वितरण) के तहत आरोप लगाए गए।

    आवेदक डॉक्टर के वकील ने तर्क दिया कि आरोपी को झूठा फंसाया गया और वह कंपनी द्वारा दवाओं के एक विशेष बैच में घटिया पदार्थ मिलाने से अनजान थे।

    हालांकि परासिया पुलिस स्टेशन की रिपोर्ट ने दावा किया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने 18 दिसंबर, 2023 को ही दिशानिर्देश जारी किए थे कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को फिक्स्ड-डोज़ कॉम्बिनेशन (FDC) नहीं दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद डॉ. सोनी ने बच्चों को यह खतरनाक कफ सिरप दिया।

    पुलिस ने यह भी दावा किया कि डॉक्टर को Coldrif सिरप लिखने के लिए 10 प्रतिशत कमीशन मिलता है और उनके रिश्तेदार उनके निजी क्लिनिक के बगल में एक मेडिकल दुकान चलाते हैं, जहां इस सिरप का खतरनाक स्टॉक है।

    कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि एकत्र किए गए साक्ष्य डॉक्टर के खिलाफ लगाए गए अपराध के लिए मजबूत आधार प्रकट करते हैं। यह प्रथम दृष्टया पाया गया कि घटना की जानकारी होने और इस संबंध में जारी दिशानिर्देशों के बावजूद दवा का प्रिस्क्रिप्शन दिया गया।

    जज ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा,

    "प्रकरण में विवेचना की कार्यवाही अपूर्ण है। अभियुक्त के विरुद्ध आक्षेपित अपराध गंभीर प्रकृति का है। यदि अभियुक्त को जमानत का लाभ दिया जाता है तो उसके द्वारा अभियोजन साक्षियों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।"

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