पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहने वाले वयस्कों के जीवन में उनका परिवार और कोई तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकताः दिल्ली हाईकोर्ट
Manisha Khatri
23 July 2022 7:54 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि एक बार जब दो वयस्क पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहने के लिए सहमत हो जाते हैं तो संभवतः उनके परिवार सहित तीसरे पक्ष द्वारा उनके जीवन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस तुषार राव गेडेला ने आगे कहा कि राज्य अपने नागरिकों की रक्षा करने के लिए एक संवैधानिक दायित्व के तहत है, खासकर उन मामलों में जहां शादी दो वयस्कों के बीच जाति या समुदाय की परवाह किए बिना की जाती है।
कोर्ट ने कहा,
''हमारे ढांचे के तहत संवैधानिक न्यायालयों को विशेष रूप से उस प्रकृति के मामलों में जो वर्तमान विवाद से संबंधित हैं,नागरिकों की रक्षा के लिए आदेश पारित करने का अधिकार है। एक बार जब दो वयस्क पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहने के लिए सहमत हो जाते हैं तो संभवतः उनके जीवन उनके परिवार सहित कोई तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। हमारा संविधान भी इसे सुनिश्चित करता है। यह केवल राज्य का ही नहीं बल्कि इसकी मशीनरी और एजेंसियों का भी कर्तव्य है कि वह कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस देश के नागरिकों को कोई नुकसान न हो।''
अदालत विशेष विवाह अधिनियम के तहत पिछले महीने शादी करने वाले एक कपल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
महिला की ओर से यह प्रस्तुत किया गया कि उसने अपना घर छोड़ दिया था क्योंकि उसके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य उसे उसके प्रेमी (अब पति) के साथ संबंध रखने के कारण प्रताड़ित और परेशान कर रहे थे।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि उसने दिल्ली के साथ-साथ गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में निजी प्रतिवादियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, हालांकि, कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कपल की ओर से आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि महिला का पिता उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से अच्छी पहचान रखने वाला व्यक्ति है और राज्य मशीनरी को प्रभावित करने में सक्षम है।
इस प्रकार यह प्रस्तुत किया गया कि महिला के परिवार के सदस्यों की ओर से उनको शारीरिक चोट पहुंचाए जाने की आशंका है। कपल ने यह भी कहा कि वे बालिग हैं और उन्होंने आपसी सहमति से यह विवाह किया है।
कोर्ट के पूछने पर, कपल के एडवोकेट ने बताया कि शादी के बाद, वे विभिन्न होटलों में रह रहे हैं और डर के कारण उन्हें बार-बार बदल रहे हैं और जब तक उन्हें सुरक्षा नहीं दी जाती है, तब तक वे किसी विशेष पहचान वाले स्थान पर नहीं रह पाएंगे।
अदालत ने कहा, ''इसमें कोई विवाद नहीं है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता नंबर 1 और 2 बालिग हैं और प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड पर रखा गया विवाह प्रमाण पत्र भी उनकी दलील को बल देता है।''
अदालत ने इस प्रकार पुलिस अधिकारियों को किसी भी आपात स्थिति या धमकी के संबंध में कपल की ओर से कॉल आने पर तुरंत जवाब देने का निर्देश दिया है।
अदालत ने आदेश दिया है कि,''संबंधित क्षेत्र के बीट अधिकारी याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केवल अगले तीन सप्ताह तक दो दिनों में एक बार उनके आवास का दौरा करेंगे।''
तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।
केस टाइटल- हिना व अन्य बनाम राज्य व अन्य
साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 698
आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें