आबकारी नीति : मनीष सिसोदिया ने सीबीआई, ईडी मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत की अर्जी वापस ली

Sharafat

24 May 2023 9:05 AM GMT

  • आबकारी नीति : मनीष सिसोदिया ने सीबीआई, ईडी मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत की अर्जी वापस ली

    दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने राष्ट्रीय राजधानी में पिछली आबकारी नीति को लागू करने में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप वाले मामलों में अंतरिम जमानत की अर्जी बुधवार को वापस ले ली। दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष वापसी का अनुरोध किया गया था।

    जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने आदेश में दर्ज किया,

    "चूंकि [सीबीआई मामले में] मुख्य जमानत अर्जी पर आदेश सुरक्षित रखा गया है और तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता की पत्नी की हालत स्थिर है, वह अंतरिम जमानत अर्जी पेश नहीं करना चाहते।.."

    एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उन्होंने पहले तथ्य छुपाने का तर्क दिया क्योंकि आवेदन में यह उल्लेख नहीं किया गया था कि पत्नी को छुट्टी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि तथ्य छुपाने के संबंध में उनके विवाद के कारण आवेदन वापस लिए जा रहे हैं। राजू ने कहा, "यह साधारण विड्राल नहीं है।"

    अदालत ने राजू का यह बयान दर्ज करते हुए कहा कि "तथ्यों को छुपाने के संबंध में कुछ दलीलें दी गई थीं।" उन्होंने कहा कि इस तरह के किसी भी विवाद पर ध्यान दिए बिना, आवेदन को वापस ले लिया गया मान कर खारिज किया जाता है।

    इस बीच सीनियर एडवोकेट मोहित माथुर ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया की नियमित जमानत याचिका पर फिर से बहस शुरू करते हुए कहा कि सामान्य नियम यह है कि जमानत दी जानी चाहिए।

    माथुर ने कहा, "किसी भी अदालत के लिए यह कहना कि दोहरी शर्तें हैं, इसलिए जमानत से इनकार किया गया है।"

    माथुर ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुमान के आधार पर कोई मामला नहीं बना सकते।

    सिसोदिया के वकील शुक्रवार को जिरह जारी रखेंगे। प्रवर्तन निदेशालय के 29 मई को अपनी दलील शुरू करने की उम्मीद है।

    इस महीने की शुरुआत में अदालत ने सिसोदिया की सीबीआई मामले में नियमित जमानत की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    सीबीआई ने आठ घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद आप नेता को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। एफआईआर में उन्हें आरोपी बनाया गया था। जांच एजेंसी का मामला है कि वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताएं हुई हैं।

    सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग नहीं किया।

    सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि सिसोदिया और अन्य आबकारी नीति 2021-22 के संबंध में "अनुशंसा करने और निर्णय लेने" में "सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से" महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

    दूसरी ओर, ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी। इसने कहा है कि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनिट्स ऑफ मिटिंग्स में इस तरह की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था।

    एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि एक साजिश थी जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था। एजेंसी के मुताबिक, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से काम कर रहे थे।

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