उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले में अज़ान पर रोक को लेकर सांसद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की पत्र याचिका
LiveLaw News Network
30 April 2020 1:45 AM GMT
![Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/06/750x450_03360372-allahabad-hc-1jpg.jpg)
ग़ाज़ीपुर ज़िला, उत्तर प्रदेश के सांसद अफ़ज़ल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर ज़िले में कलेक्टर की निषेधाज्ञा का ज़िक्र करते हुए अज़ान पर प्रतिबंध लगाने की बात का उल्लेख किया है।
उन्होंने लिखा है कि पूरे देश में लोग कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और मस्जिद सहित किसी भी धार्मिक स्थल पर भीड़ लगाने की मनाही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अज़ान पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया।
पत्र याचिका में कहा गया है कि 24 अप्रैल को अचानक यह पता चला कि मस्जिदों से अज़ान पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने प्रतिबंध लगा दिया गया है और अगर कोई इसका उल्लंघन करता है और अज़ान पढ़ने की कोशिश करता है तो उसके ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई होगी।
अंसारी ने इस पत्र में कहा है कि उनके चुनाव क्षेत्र के कई लोगों ने उनसे इस कठोर कार्रवाई के बारे में पूछा और कहा कि मस्जिदों के कुछ इमामों के ख़िलाफ़ अकारण मामले दर्ज किये गए हैं।
इस पत्र में यह भी कहा गया है कि लोगों ने प्रशासन से इस बारे में लिखित आदेश देने को जब कहा तो उनसे कहा गया कि यह आदेश ज़िला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने जारी किया है।
पत्र में कहा गया है कि
"मेरे चुनाव क्षेत्र के लोगों ने मुझसे संपर्क किया और मुझसे इस मामले में मदद मांगी है। मैंने ज़िला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की है पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है। हर व्यक्ति किसी मौखिक आदेश की बात कर रहा है लेकिन इस बारे में कोई खुलासा नहीं कर रहा है। अज़ान पर प्रतिबंध का लिखित आदेश कोई नहीं दिखा रहा है।"
सांसद ने कहा है कि चूंकि यह रमजान का महीना है और हर किसी ने अपने घर से ही नमाज़ पढ़ने का निर्णय किया है, अज़ान आवश्यक है क्योंकि यह लोगों को नमाज़ के वक्त के बारे में बताती है, विशेषकर सहरी और इफ़्तार के बारे में।
इस पत्र याचिका में अदालत से आग्रह किया गया है कि वह एक व्यक्ति से ही अज़ान की अनुमति दे यानी सिर्फ मोआज़्ज़िन को ही इसकी अनुमति दें कि वह मस्जिद से अज़ान दे सकें और ऐसा करके लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जा सकेगी।
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