चोट लगने के आरोप वाली वकील की शिकायत को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि वह जानता है कि इसे कैसे ड्राफ्ट किया जाता है: दिल्ली हाईकोर्ट

Sharafat

11 April 2023 7:42 AM GMT

  • चोट लगने के आरोप वाली वकील की शिकायत को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि वह जानता है कि इसे कैसे ड्राफ्ट किया जाता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने लोहे की छड़ से सिर पर वार कर चोट पहुंचाने के आरोपी व्यक्ति की अग्रिम जमानत से इनकार करते हुए मंगलवार को कहा कि सिर्फ इसलिए कि शिकायतकर्ता पेशे से वकील है और केवल इस आधार पर उसकी शिकायत की अवहेलना नहीं की जा सकती है कि वह जानता है कि इस शिकयत का ड्राफ्त कैसे तैयार करना है।

    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने आदेश में कहा,

    "इसका मतलब यह होगा कि एक घायल व्यक्ति जिसकी शिकायत एक वकील द्वारा तैयार की गई है, एक वकील की तुलना में बेहतर स्थिति में होगा, जिसे शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर चोट लगी है।" .

    एफआईआर आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा) और धारा 341 तहत दर्ज की गई थी।

    अदालत ने चिकन की दुकान के मालिक सावन को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वकील ने उसके द्वारा खरीदे गए चिकन के वजन के मुद्दे पर विवाद को लेकर उसके और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। आरोप है कि शिकायतकर्ता और उसके चचेरे भाई को आरोपी व्यक्तियों द्वारा धमकी दी गई थी।

    अभियोजन पक्ष का यह मामला था कि जब शिकायतकर्ता अपने भाई को बचाने के लिए दौड़ा तो सावन ने उसे पकड़ लिया और सह-आरोपी सलमान ने लोहे की रॉड से उसके सिर पर वार कर दिया।

    सावन की ओर से पेश वकील ने कहा कि चूंकि शिकायतकर्ता एक वकील है, इसलिए वह शिकायत लिखने की बारीकियों से अच्छी तरह वाकिफ है और इसलिए इसमें उल्लिखित तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। यह भी तर्क दिया गया कि पुलिस ने मामले में झूठी शिकायत दर्ज की है।

    अदालत ने सबमिशन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि किसी व्यक्ति के वकील होने के पेशे को उसके खिलाफ नहीं देखा जा सकता।

    जस्टिस शर्मा ने कहा,

    "यदि किसी व्यक्ति के पास अधिकार या कौशल की स्थिति है और वह दूसरों की मदद करने में सक्षम है तो उसके अपने मामले में उसका अपना कौशल, पेशा या अधिकार की स्थिति उसके नुकसान के लिए काम नहीं कर सकती।"

    इसके अलावा अदालत ने कहा कि चोट शिकायतकर्ता वकील के बाएं सामने के माथे पर लोहे की रॉड से की गई थी और घाव को उसके माथे पर बाईं आंख के ऊपर छह टांके लगाकर ठीक हुआ।

    अदालत ने कहा,

    “अपराध में प्रयुक्त लोहे की छड़ अभी तक बरामद नहीं हुई है और वर्तमान मामले में जांच प्रारंभिक चरण में है। तथ्य यह है कि शिकायतकर्ता को उसके शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर मारा गया था और उसे छह टांके लगे, जो अपराध की गंभीरता की ओर इशारा करता है।”

    इसमें कहा गया, "इसके मद्देनजर, इस स्तर पर, अभियुक्त / आवेदक के पक्ष में अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता है। तदनुसार वर्तमान आवेदन खारिज किया जाता है।"

    टाइटल : सावन बनाम राज्य

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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