लॉ फर्म अपने ब्लॉग या वेबसाइट पर चल रही कार्यवाही पर रिपोर्ट नहीं कर सकती और न ही करना चाहिए, जिसके द्वारा मुकदमा चलाया जा रहा है : दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

9 Jun 2021 11:42 AM GMT

  • लॉ फर्म अपने ब्लॉग या वेबसाइट पर चल रही कार्यवाही पर रिपोर्ट नहीं कर सकती और न ही करना चाहिए, जिसके द्वारा मुकदमा चलाया जा रहा है : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाई कोर्ट ने सोसाइटी फॉर टैक्स एनालिसिस एंड रिसर्च द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए निर्देश दिया कि एक लॉ फर्म अपने वेबसाइट / ब्लॉग पर चल रही कार्यवाही पर रिपोर्ट नहीं कर सकती है न ही करना चाहिए, जिसके द्वारा मुकदमा चलाया जा रहा है क्योंकि कार्यवाही की रिपोर्ट में निष्पक्षता खोने की पूरी संभावना है।

    जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस तलवंत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि,

    "एक लॉ फर्म अपनी वेबसाइट / ब्लॉग के माध्यम से मामलों के विवरण की रिपोर्ट इस कारण से नहीं कर सकती है कि इस तरह की रिपोर्टिंग में किसी भी तरह की लापरवाही से कई समस्याएं हो सकती हैं जो कार्यवाही और संबंधित वकीलों को प्रभावित कर सकती हैं।"

    अदालत से याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार को विभिन्न विलांबित टैक्स तिथियों का विस्तार करने का निर्देश दिया जाए और इस बीच कार्यवाही पर एक आर्टिकल एएलए लीगल एसोसिएट्स और सॉलिसिटर ("एएलए लीगल") के ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया, जिसके द्वारा मुकदमा चलाया जा रहा है।

    "ए समर ऑफ रिलीफ फॉर टैक्सपेयर्स" शीर्षक से और https://gstlawindia.in पर प्रकाशित किया गया, जो फर्म द्वारा प्रशासित एक वेबसाइट है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने वही मुद्दा उठाया, जिसमें कहा गया था कि ब्लॉग में कार्यवाही को गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया है।

    अदालत ने एएसजी से सहमति जताते हुए आदेश दिया कि लॉ फर्म चल रही कार्यवाही पर रिपोर्ट नहीं कर सकती है और न ही करना चाहिए क्योंकि इससे रिपोर्टिंग में निष्पक्षता खोने की पूरी संभावना है।

    एडवोकेट सलाह पुनीत अग्रवाल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत किया कि "ए समर ऑफ रिलीफ फॉर टैक्सपेयर्स" शीर्षक वाला ब्लॉग, अब तक https://gstlawindia.in/a-summer-of-relief-for-taxpayers/ URL पर उपलब्ध है। इसे हटाया जाए और अदालत के साथ-साथ एएसजी वेंकटरामन से बिना शर्त माफी मांगने की पेशकश की।

    एडवोकेट सलाह पुनीत अग्रवाल ने आगे प्रस्तुत किया कि इस न्यायालय के संबंधित आदेश दिनांक 25 मई को उपरोक्त वेबसाइट / ब्लॉग पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को प्रत्यक्ष कर (सीबीडीटी) के जीएसटी परिषद और केंद्रीय बोर्ड के समक्ष पक्षकारों के सुझाव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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