बड़े-बड़े दावों के बावजूद लोगों का एक बड़ा तबका अभी भी गरीबी रेखा से नीचे जी रहा है : सुप्रीम कोर्ट

Sharafat

21 March 2023 3:44 AM GMT

  • बड़े-बड़े दावों के बावजूद लोगों का एक बड़ा तबका अभी भी गरीबी रेखा से नीचे जी रहा है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बड़े-बड़े दावों के बावजूद लोगों का एक बड़ा वर्ग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रह रहा है।

    जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने बताया कि कैसे देश में "पूर्ण बेरोजगारी" के कई मामले हैं। प्रतिवादी की ओर इशारा करते हुए अदालत ने मौखिक रूप से कहा,

    "हम आपको ऐसे मामले दे सकते हैं जहां पूर्ण बेरोजगारी है। आप जानते हैं कि हमारा देश क्या है! बड़े-बड़े दावों के बावजूद हमारे देश का एक बड़ा तबका है जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है।

    न्यायालय कर्नाटक हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली एसएलपी पर विचार कर रहा था, जिसने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत उत्पन्न एक विवाद की सुनवाई करते हुए प्रतिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया था।

    सुनवाई की शुरुआत में प्रतिवादी ने स्थगन की संख्या की ओर इशारा किया जो दूसरे पक्ष ने मांगा था, हालांकि यह मामला कई बार सूचीबद्ध किया गया।

    खंडपीठ ने कहा कि उनके मामले को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती है, क्योंकि अन्य लोग "एक कतार में" प्रतीक्षा कर रहे हैं। बेंच ने कहा,

    "क्या आप जानते हैं कि 2001 से लंबित मामले हैं और इसका निस्तारण नहीं किया गया है?"

    कोर्ट ने कहा कि आज इस पहलू पर बेंच का ध्यान आकर्षित करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि प्रतिवादी के पूर्व नियोक्ता भारती एयरटेल लिमिटेड (याचिकाकर्ता) ने समय का अनुरोध किया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि वह कई महीनों से बेरोजगार है और उसका परिवार मुश्किल से अपनी पत्नी की आय से ही गुजर-बसर कर रहा है।

    खंडपीठ ने उत्तर दिया,

    "और कई मामले हैं। आप जैसे और भी बहुत से बेरोजगार हैं जिनकी हालत कहीं ज्यादा खराब है। आप एक सीनियर मैनेजर थे। हम बात कर रहे हैं मजदूरों की। अब वे छह हजार रुपये में काम करने को तैयार हैं। मैं आपको आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मामले बता सकता हूं। मैं केरल से आ रहा हूं। वहां स्थिति अकल्पनीय है!”

    आमतौर पर यदि कोई श्रम न्यायालय में सफल होता है तो असाधारण मामलों को छोड़कर हाईकोर्ट को सामान्य रूप से मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अदालत ने आगे कहा, “यहां, सिंगल बेंच और डिवीजन बेंच ने आपके पक्ष में निर्णय दिया। लेकिन हमें इससे गुजरना होगा, वे (याचिकाकर्ता) इसे चुनौती दे रहे हैं।”

    पार्टी-इन-पर्सन के अनुरोध के बाद अदालत 25 अप्रैल को बोर्ड पर पहले आइटम के रूप में मामले की सुनवाई करने पर सहमत हुई।

    केस टाइटल: भारती एयरटेल लिमिटेड बनाम एएस राघवेंद्र | एसएलपी (सी) नंबर 13691/2022 IV-

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