संपत्ति के हस्तांतरण अधिनियम द्वारा शासित 'मकान मालिक-किरायेदार' विवाद प्रकृति में मध्यस्थता योग्य हैं: कर्नाटक हाईकोर्ट ने दोहराया

LiveLaw News Network

12 Jun 2022 8:45 AM GMT

  • संपत्ति के हस्तांतरण अधिनियम द्वारा शासित मकान मालिक-किरायेदार विवाद प्रकृति में मध्यस्थता योग्य हैं: कर्नाटक हाईकोर्ट ने दोहराया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने दोहराया है कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 द्वारा शासित मकान मालिक-किरायेदार विवाद प्रकृति में मध्यस्थता योग्य हैं।

    जस्टिस ई.एस. इंदिरेश ने कहा कि 'विद्या ड्रोलिया बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (2020)' के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 'हिमांगी एंटरप्राइजेज बनाम अमलजीत सिंह अहुलवालिया (2017)' के अपने ही फैसले को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इस प्रकार माना कि लीज डीड के तहत पार्टियों के बीच मकान मालिक-किरायेदार विवाद, जो संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम द्वारा शासित था, को मध्यस्थता के लिए संदर्भित किया जा सकता है।

    प्रतिवादी/पट्टाकर्ता एरीज़ एग्रो-वेट एसोसिएट्स (प्राइवेट) लिमिटेड ने याचिकाकर्ता गोकलदास इमेजेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ लीज डीड की। प्रतिवादी ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक मुकदमा दायर किया जिसमें याचिकाकर्ता को पट्टे की संपत्ति से किराए और हर्जाने की बकाया राशि के साथ बेदखल करने की मांग की गई और याचिकाकर्ता को पट्टे पर दी गई संपत्ति को किराए पर देने से रोकने का आदेश दिया गया। इसके बाद, मुकदमा कमर्शियल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था।

    याचिकाकर्ता ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी अधिनियम) की धारा 8 के तहत एक आवेदन दायर किया, जिसमें लीज डीड में निहित मध्यस्थता खंड के अनुसार पक्षों के बीच विवाद को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने की मांग की गई थी। प्रतिवादी ने उक्त आवेदन पर आपत्ति प्रस्तुत की। ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन को खारिज करने का आदेश पारित किया। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की।

    याचिकाकर्ता गोकलदास इमेजेज ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन को 'हिमांगी एंटरप्राइजेज बनाम अमलजीत सिंह अहुलवालिया (2017)' के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए खारिज कर दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पट्टे से संबंधित मामला मध्यस्थ प्रकृति का नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि 'विद्या ड्रोलिया बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (2019)' के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि 'हिमांगी एंटरप्राइजेज (2017)' के मामले में दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पुनर्विचार की आवश्यकता थी। इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने दलील दी कि 'हिमांगी एंटरप्राइजेज (2017)' मामले में दिये गये निर्णय पर भरोसा जताते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश गलत था।

    हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने हिमांगी एंटरप्राइजेज (2017) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए फैसला सुनाया था कि चूंकि पार्टियों के बीच विवाद बेदखली और किराए के बकाया से संबंधित था, इसलिए, उक्त विवाद गैर-मध्यस्थता योग्य था।

    कोर्ट ने कहा कि 'विद्या ड्रोलिया (2019)' के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि 'हिमांगी एंटरप्राइजेज (2017)' में दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी बेंच द्वारा फिर से पड़ताल करने की आवश्यकता थी।

    कोर्ट ने कहा कि उसके बाद, 'विद्या ड्रोलिया बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (2020)' के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम द्वारा शासित जमींदार-किरायेदार विवाद मध्यस्थता योग्य हैं क्योंकि वे 'एक्शन इन रेम' नहीं हैं, लेकिन वे 'राइट्स ऑफ रेम' से उत्पन्न 'राइट्स ऑफ पर्सोनम' के अधीनस्थ अधिकारों से संबंधित हैं। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हिमांगी एंटरप्राइजेज (2017) में निर्धारित आदेश को खारिज कर दिया था और यह माना था कि मकान मालिक-किरायेदार विवाद प्रकृति में मध्यस्थता योग्य हैं, क्योंकि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम मध्यस्थता को अस्वीकार नहीं करता है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि अगर किसी विशिष्ट अदालत या फोरम को विशेष अधिकारों और दायित्वों को तय करने के लिए क़ानून के तहत विशेष अधिकार क्षेत्र दिया गया था तो किराया नियंत्रण कानून द्वारा कवर किए गए मकान मालिक-किरायेदार विवाद मध्यस्थता योग्य नहीं होंगे ।

    कोर्ट ने इस बात पर विचार करते हुए कि लीज डीड के तहत पार्टियों के बीच विवाद संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम द्वारा शासित था, माना कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश को कायम नहीं रखा जा सकता है। इसलिए, कोर्ट ने रिट याचिका को स्वीकार कर लिया और ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।

    केस टाइटल: गोकलदास इमेजेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम एरीज़ एग्रो-वेट एसोसिएट्स (प्राइवेट) लिमिटेड और अन्य।

    याचिकाकर्ता के लिए वकील: श्री धनंजय वी जोशी, वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री वचन एच वी, अधिवक्ता

    प्रतिवादी के लिए वकील: सुश्री भावना जी के, एडवोकेट


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