इलाहाबाद हाईकोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा की सीबीआई जांच की मांग को लेकर पत्र जनहित याचिका दायर

LiveLaw News Network

5 Oct 2021 7:41 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा की सीबीआई जांच की मांग को लेकर पत्र जनहित याचिका दायर

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष एक पत्र याचिका दायर की गई। इस पत्र याचिका में लखीमपुर खीरी की हालिया हिंसक घटना की सीबीआई जांच की मांग की गई है। इस हिंसा में कुल आठ लोग मारे गए। मरने वालों में से चार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे द्वारा कथित रूप से चलाए जा रहे वाहन से कुचला गया।

    स्वदेश एनजीओ और प्रयाग लीगल एड क्लिनिक द्वारा अधिवक्ता गौरव द्विवेदी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार मृत व्यक्तियों के भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को सुरक्षित करने में विफल रही है।

    याचिका में आगे कहा गया कि इस भयानक घटना के कारण उत्तर प्रदेश राज्य की कानून व्यवस्था बहुत खतरे में पड़ है और यदि राज्य द्वारा जल्द से जल्द निवारक कार्रवाई नहीं की गई तो कोई भी चूक हो सकती है।

    यह आरोप लगाते हुए कि घटना राज्य में प्रचलित कानून-व्यवस्था की स्थिति की ओर इशारा करती है। साथ ही एक जनांदोलन के खिलाफ प्रतिभूति एजेंसियों के उपेक्षित व्यवहार की ओर भी इशारा करती है।

    याचिका में कहा गया:

    "यह घटना उत्तर प्रदेश राज्य में कानून और व्यवस्था का वास्तविक चेहरा दिखाती है, जहां एक राज्य मशीनरी पुलिस की मदद से और अपने खुफिया बल यानी स्थानीय निरीक्षण इकाई (एलआईयू) के माध्यम से किसी भी वीआईपी आंदोलन से पहले अनुकूलित प्रतिभूतियों के उपायों पर नजर रखती है। लेकिन लखीमपुर खीरी में हुई एक घटना ने एक जनांदोलन के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ प्रतिभूति एजेंसियों के वास्तविक और उपेक्षित व्यवहार को सामने लाकर रख दिया।"

    याचिका में प्रार्थना:

    1.उत्तर प्रदेश राज्य को दिनांक 03.10.2021 को लखीमपुर खीरी में एक भयानक नरसंहार में मारे गए आठ व्यक्तियों की मौत के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश करने और संचालन करने का निर्देश दिया जाए।

    2. आठ व्यक्तियों की मृत्यु के मामले में जांच शुरू करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया जाए।

    3. वर्तमान मामले में इस न्यायालय की निगरानी में एक स्वतंत्र न्यायिक जांच की शुरुआत की जाए।

    4.वर्तमान मामले में विशेष जांच एजेंसी द्वारा जांच शुरू करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य को निर्देश दिया जाए।

    याचिका में उत्तर प्रदेश राज्य, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, आयुक्त, लखीमपुर खीरी, जिला मजिस्ट्रेट, लखीमपुर खीरी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, लखीमपुर खीरी, और स्टेशन हाउस अधिकारी, तिकोनिया बनबीरपीर रोड को प्रतिवादी पक्षों के रूप में शामिल किया गया।

    घटना के बारे में

    तीन अक्टूबर को कई किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जब एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद चार किसान मारे गए।

    कथित तौर पर, एसयूवी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी।

    सोमवार को पुलिस ने आशीष मिश्रा (मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे) और कई अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत हिंसा के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की थी।

    घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया में भी सामने आया। इसमें प्रदर्शनकारियों के एक समूह को खेतों के बगल में एक सड़क पर आगे बढ़ते हुए दिखाया गया और फिर पीछे से एक ग्रे एसयूवी द्वारा कुचलता हुआ।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की कि हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच करेंगे और साथ ही घटना में मारे गए चार किसानों के परिवारों को 45 लाख मुआवजा दिया जाएगा।

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