'फिर मॉल अपनी लिफ्ट सर्विस के लिए भी फीस लेंगे': केरल हाईकोर्ट ने लुलु मॉल के पार्किंग फीस वसूल करने पर कहा
LiveLaw News Network
28 Jan 2022 4:00 PM IST
केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दोहराया कि लुलु इंटरनेशनल शॉपिंग मॉल द्वारा पार्किंग फीस वसूलना उचित नहीं है। हाईकोर्ट उन दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिनमें आरोप लगाया गया कि मॉल अपने ग्राहकों से पार्किंग फीस वसूल कर रहा है।
जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने मामले को अगले महीने के लिए स्थगित करते हुए अपना प्रथम दृष्टया रुख दोहराया और प्रतिवादियों को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा,
"मेरा अब भी मानना है कि मॉल द्वारा पार्किंग फीस वसूलना प्रथम दृष्टया अवैध है। यदि इसकी अनुमति दी जाती है तो मॉल जल्द ही अपने ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली लिफ्ट सर्विस के लिए फीस वसूल करना शुरू कर देंगे।"
कोर्ट ने पहले इस सवाल पर कलामास्सेरी नगर पालिका से स्पष्ट जवाब मांगा था। शुक्रवार को उत्तरदाताओं ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा।
इसके चलते मामले की सुनवाई 21 फरवरी को स्थगित कर दी गई।
शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, मुंबई ने शुक्रवार को एक याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि एसोसिएशन को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद न्यायाधीश ने इस आवेदन को स्वीकार कर लिया।
एसोसिएशन ने प्रस्तुत किया कि एक मॉल में पार्किंग की जगह प्रत्येक मॉल संचालक की निजी संपत्ति है और मॉल मालिकों को मुफ्त पार्किंग सेवाएं प्रदान करने के लिए मजबूर करने के लिए कोई नियम नहीं लाया जा सकता।
पहली याचिका सामाजिक कार्यकर्ता बॉस्को लुइस ने दायर की थी। वह व्यक्तिगत रूप से एक पक्षकार के रूप में पेश हुए। एक अन्य याचिका फिल्म निर्देशक पॉली वडक्कन द्वारा दायर की गई। उनसे दो दिसंबर को मॉल का दौरा करने पर पार्किंग फीस के रूप में 20 रुपये लिए गए।
वडक्कन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि मॉल के कर्मचारियों ने बाहर निकलने का गेट बंद कर दिया और जब उसने शुरू में राशि का भुगतान करने से इनकार किया तो उसे धमकी दी। याचिका एडवोकेट जोमी के. जोस के माध्यम से दायर की गई।
यह तर्क दिया गया कि पार्किंग शुल्क जमा करना केरल नगर पालिका अधिनियम और केरल नगर पालिका भवन नियम, 1994 का घोर उल्लंघन है, क्योंकि नियमों के अनुसार, मॉल एक वाणिज्यिक परिसर है और पार्किंग के लिए अनुमोदित भवन योजना में निर्धारित स्थान को एक में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि यदि कोई रूपांतरण किया जाता है तो यह क़ानून के साथ धोखाधड़ी है। यह कानून की नज़र में अस्थिर है।
पिछली सुनवाई में से एक के दौरान, वकील ने तर्क दिया कि मॉल के पास ग्राहकों से पार्किंग फीस लेने का लाइसेंस नहीं है। हालांकि उत्तरदाताओं ने इसका विरोध किया।
याचिका में आगे तर्क दिया गया कि 2010 से मॉल पार्किंग फीस ले रहा है। इसे सरकार द्वारा वसूल किया जाना था। तदनुसार, याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई कि मॉल द्वारा पार्किंग फीस का कलेक्शन याचिकाकर्ता से वसूले गए 20 रुपये की वापसी के अलावा अवैध है।
केस शीर्षक: पॉली वडक्कन बनाम लुलु इंटरनेशनल शॉपिंग मॉल प्राइवेट लिमिटेड।