केरल शिक्षा नियम| केवल राज्य-प्राधिकृत अधिकारी को हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षकों के निलंबन को 15 दिनों से आगे बढ़ाने का अधिकार: हाईकोर्ट

Brij Nandan

27 Jun 2022 9:23 AM GMT

  • केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने हाल ही में कहा कि केरल शिक्षा नियम (केईआर) के अध्याय XIV के नियम 67 (7) के प्रावधान के अनुसार, हायर सेकेंडरी स्कूल में एक शिक्षक के निलंबन की अवधि बढ़ाने की मंजूरी केवल राज्य-प्राधिकृत अधिकारी द्वारा दी जा सकती है न कि सामान्य शिक्षा निदेशक (डीजीई) द्वारा।

    जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि निलंबन की शक्ति केवल स्कूल प्रबंधक के पास है और पहले 15 दिनों के लिए उक्त शक्ति पूर्ण है, निलंबन की अवधि बढ़ाने की बाद की शक्ति एक विनियमित शक्ति है।

    आगे कहा,

    "जहां तक हायर सेकेंडरी स्कूलों का संबंध है, वैधानिक नियम केवल सरकार द्वारा अधिकृत एक अधिकारी को 15 दिनों से अधिक की अवधि जारी रखने के लिए पिछली मंजूरी देने के लिए बाध्य करते हैं। दूसरे शब्दों में, केवल अधिकृत अधिकारी ही निलंबन की अवधि को 15 दिनों से आगे बढ़ाते हुए मंजूरी दे सकता है।"

    याचिकाकर्ता ने एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक होने के नाते चौथे प्रतिवादी (प्राचार्य) को 2020 में निलंबित कर दिया था, लेकिन निलंबन के आदेश को जल्द ही हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।

    इसके तुरंत बाद, याचिकाकर्ता ने चौथे प्रतिवादी को फिर से निलंबित कर दिया। हालांकि उसने आरोप लगाया कि यह अधिनियम अवमानना है, अदालत ने अवमानना मामले को यह कहते हुए बंद कर दिया कि अगर क़ानून का उल्लंघन हुआ है, तो इसका इलाज इसे चुनौती देना है।

    इस बीच, याचिकाकर्ता ने चौथे प्रतिवादी पर लगाए गए निलंबन की अवधि को बढ़ाने के उनके अनुरोध पर विचार करने के लिए डीजीई को निर्देश देने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की।

    कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले में दो हफ्ते के भीतर फैसला लेना है। तद्नुसार चौथे प्रतिवादी को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया गया।

    हालांकि, चौथे प्रतिवादी को 23.09.2020 से निलंबित रखा गया था और फरवरी 2021 के बाद उसे कोई निर्वाह भत्ता नहीं दिया गया था। इसे हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी।

    चौथे प्रतिवादी ने तर्क दिया कि डीजीई ने निलंबन आदेश के विस्तार के लिए याचिकाकर्ता के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि एक शिक्षक के निलंबन को 15 दिनों तक जारी रखने के लिए मंजूरी की आवश्यकता होती है। यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता ने इस कारण से अभ्यावेदन पर विचार करने के लिए डीजीई को एक निर्देश प्राप्त किया था।

    इसके अलावा, चौथे प्रतिवादी ने दलील दी कि निलंबन की प्रारंभिक अवधि की समाप्ति पर, उसे फिर से शामिल किया जाना चाहिए था क्योंकि अदालत ने निलंबन को रद्द कर दिया था। इसके बजाय, याचिकाकर्ता ने एक और निलंबन आदेश जारी किया था जिसके लिए एक विस्तार भी मांगा गया था।

    उसने यह भी दलील दी कि केरल शिक्षा नियमों के अध्याय XIV के नियम 67 के अनुसार, एक शिक्षक जिसका निलंबन नहीं बढ़ाया गया है, उसे बहाल किया जाना कर्तव्य है। चूंकि इस न्यायालय द्वारा निलंबन के आदेश को रद्द कर दिया गया था, इसलिए वह 07-04-2021 से 15 दिनों को छोड़कर, 23-09-2020 से 04-07-2021 तक वेतन की हकदार है। आगे यह दलील दी गई कि चौथे प्रतिवादी को 22.04.2021 से वेतन का भुगतान किया जाना है।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट कोडोथ श्रीधरन, चौथे प्रतिवादी के लिए एडवोकेट पीसी शशिधरन और मामले में वरिष्ठ सरकारी वकील निशा बोस भी पेश हुईं।

    हाईकोर्ट ने कहा कि वर्गीज बनाम शिक्षा उप निदेशक [2000 (2) केएलटी 109] में हाईकोर्ट ने कहा था कि केईआर के अध्याय XIV का नियम 67 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों पर लागू नहीं होगा। हालामकि, 2009 में सरकारी आदेश के अनुसार, सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के खिलाफ प्रावधान, सहायता प्राप्त उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों पर आवश्यक परिवर्तनों सहित लागू होंगे।

    इसके बाद, 2019 में केईआर के अध्याय XIVA के नियम 67 और नियम 68 के प्रावधान को संशोधित किया गया था। उपरोक्त संशोधन के मद्देनजर, नियम 67 और 68 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों पर भी लागू होते हैं। इसलिए, वर्गीज के मामले (सुप्रा) के फैसले में अब कोई आवेदन नहीं हो सकता है।

    कोर्ट ने यह भी नोट किया कि निलंबन की अवधि बढ़ाने के लिए डीजीई को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा कोई प्राधिकरण जारी नहीं किया गया था। इस प्रकार, यह माना गया कि निलंबन की 15 दिनों की अवधि बढ़ाने के लिए मंजूरी देने के लिए अधिकृत किसी अधिकारी की अनुपस्थिति में, सरकार अकेले अवधि बढ़ा सकती है। निलंबन की अवधि बढ़ाने के लिए डीजीई मंजूरी नहीं दे सकता।

    इसलिए, कानून की नजर में, निलंबन की अवधि बढ़ाने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा उचित प्राधिकारी के समक्ष कोई आवेदन दायर नहीं किया गया है।

    चूंकि निलंबन अवधि को 15 दिनों से अधिक बढ़ाने के आदेश के अभाव में शिक्षक सेवा में बहाल करने का हकदार है, इसलिए यह पाया गया कि उसे सेवा में बहाल करने का आदेश किसी भी हस्तक्षेप की मांग नहीं करता है।

    तदनुसार याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: रेव. टी.जी. जॉनसन बनाम केरल राज्य एंड अन्य।

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 304

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