कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस, चुनाव आयोग को चुनाव के दौरान एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया पर अधिकारियों को उचित ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया

Shahadat

8 March 2023 8:05 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस, चुनाव आयोग को चुनाव के दौरान एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया पर अधिकारियों को उचित ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्य चुनाव आयोग, राज्य चुनाव आयोग और पुलिस विभाग को निर्देश दिया कि वे चुनाव फ्लाइंग स्क्वाड से जुड़े अधिकारियों को चुनाव संहिता उल्लंघन से संबंधित अपराधों की रिपोर्टिंग करते समय अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में उचित ट्रेनिंग दें।

    जस्टिस के नटराजन की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि फ्लाइंग स्क्वाड द्वारा दायर शिकायत पर पुलिस द्वारा दर्ज अधिकांश मामले चुनाव के दौरान केवल खाली औपचारिकता के रूप में रह जाते हैं और अंत में अधिकांश मामलों में पुलिस 'बी' अंतिम रिपोर्ट तब दर्ज करती है जब उम्मीदवार निर्वाचित होता है या हारने वाले उम्मीदवार के खिलाफ चार्जशीट दायर करता है।

    उन्होंने कहा,

    "भले ही पुलिस अच्छी तरह से जानती है कि असंज्ञेय अपराध है, फिर इसमें मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती।"

    अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना संज्ञेय अपराध में सीआरपीसी की धारा 155 के तहत एफआईआर दर्ज करने में पुलिस द्वारा प्रक्रियाओं का घोर उल्लंघन किया गया।

    अदालत ने कहा,

    "वे आरोपी व्यक्तियों को कानून के शिकंजे से बचने में मदद कर रहे हैं, भले ही फ्लाइंग स्क्वाड द्वारा भारी मात्रा में अन्य सामान आदि जब्त किए गए हों।"

    इस प्रकार, इसने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

    (i) यदि ऐसा कोई गैर-संज्ञेय अपराध पाया जाता है तो सूचना देने वाले को सीआरपीसी की धारा 155(2) के तहत अनुमति लेनी होगी। शिकायतकर्ता द्वारा सीआरपीसी की धारा 155(1) के तहत मजिस्ट्रेट के पास जाएगा और उसके बाद मजिस्ट्रेट वग्गेप्पा गुरुलिंगा जंगलिगी (जंगलगी) बनाम कर्नाटक राज्य, आईएलआर 2020 केएआर 630 के मामले में समन्वय पीठ के फैसले का पालन करते हुए सीआरपीसी की धारा 155 (2) के तहत अनुमति देगा। फिर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और आरोप पत्र दायर करने के लिए विवेक का इस्तेमाल करना होगा।

    (ii) आईपीसी की धारा 188 के तहत दंडनीय अपराधों के संबंध में हालांकि यह संज्ञेय अपराध है, शिकायतकर्ता या फ्लाइंग स्क्वाड को सीआरपीसी की धारा 154 (1) के तहत पुलिस के समक्ष कोई शिकायत दर्ज नहीं करनी चाहिए, लेकिन शिकायतकर्ता भारत के चुनाव आयोग द्वारा प्रदत्त शक्ति के आधार पर शिकायत दर्ज कर सकता है। गवाहों की उपस्थिति में पंचनामा तैयार करके सामग्री को जब्त कर सकता है और उसके बाद भारत का चुनाव आयोग शिकायतकर्ता को सीआरपीसी की धारा 195(1)(a)(iii) के अनुसार मजिस्ट्रेट के समक्ष दस्तावेजों के साथ सीआरपीसी की धारा 200 के सपठित धारा 2 (डी) के तहत शिकायत दर्ज करने के लिए अधिकृत कर सकता है।

    इसने यह भी कहा,

    “मजिस्ट्रेट शिकायतकर्ता-लोक सेवक के शपथ-पत्रों की रिकॉर्डिंग के साथ संज्ञान ले सकता है और फिर सीआरपीसी की धारा 204 के तहत प्रक्रिया जारी करके आदेश पारित कर सकता है।

    यह निर्देश ए मंजू द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 188 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 126 (संक्षिप्त 'आरपी अधिनियम' के लिए) के तहत शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करते हुए दिए गए।

    ऐसा आरोप है कि 17.04-2019 को शिकायतकर्ता (फ्लाइंड स्क्वाड ऑफिसर) को पता चला कि याचिकाकर्ता, जो हसन निर्वाचन क्षेत्र के लिए भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार थे, उन्होंने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कर्फ्यू लगाने के बावजूद, हासन के मल्लिगे होटल में एक प्रेस वार्ता की। पुलिस ने आईपीसी की धारा 188 और आरपी एक्ट की 126 के तहत एफआईआर दर्ज की। चार्जशीट दाखिल की, जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई।

    अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 195(1)(ए)(i) और (iii) के तहत रोक के मद्देनजर, मजिस्ट्रेट को धारा 2(डी) सपठित सीआरपीसी की धारा 200 के तहत शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज किए बिना संज्ञान लेने से रोक दिया गया।

    "पुलिस के पास असंज्ञेय अपराध के लिए अदालत की अनुमति के बिना एफआईआर दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही कानून के तहत टिकाऊ नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।"

    केस टाइटल: ए मंजू बनाम स्टेट ऑफ कर्नाटक

    केस नंबर: आपराधिक याचिका नंबर 10435/2022

    साइटेशन: लाइवलॉ (कर) 97/2023

    आदेश की तिथि: 17-02-2023

    प्रतिनिधित्व: याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मंजूनाथ बी और प्रतिवादी के लिए एचसीजीपी बीजे रोहित।

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