कर्नाटक हाईकोर्ट ने पीयूसी के फ्रेशर्स और II के छात्रों के मूल्यांकन के लिए मूल्यांकन मानदंड में समानता की मांग करने वाली याचिका पर राज्य को नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
20 July 2021 4:40 PM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 के लिए अंक प्रदान करते समय II पीयूसी के पुनरावर्तक (Repeater) छात्रों के लिए उसी मूल्यांकन पद्धति का पालन करने के निर्देश दिए जाने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार नोटिस जारी किया, जैसा कि नियमित छात्रों के मामले में किया जा रहा है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस हंचटे संजीवकुमार की खंडपीठ ने कर्नाटक ईडब्ल्यूएस 1512 रेजिडेंशियल सोशल वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया। सभी II PUC छात्रों के परिणाम आज (मंगलवार) घोषित किए जाने हैं।
हाल ही में एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि उसने निर्णय लिया है कि पिछले वर्ष की II पीयूसी परीक्षा में असफल रहने वाले निजी उम्मीदवारों सहित सभी पुनरावर्तक छात्रों को उत्तीर्ण अंक और अनुग्रह अंक प्रदान करके पदोन्नत किया जाएगा।
राज्य ने आगे फैसला किया है कि नियमित छात्रों को उनके 10वीं कक्षा के 45% अंक और प्रथम वर्ष के 45% अंक लेकर कॉलेज द्वारा मूल्यांकन के आधार पर अतिरिक्त 10% दिया जाएगा। जबकि सभी पुनरावर्तक छात्रों को केवल उत्तीर्ण अंक और 5% अनुग्रह अंक दिए जाएंगे।
याचिका में कहा गया है कि राज्य द्वारा नियुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट जो पीयूसी के दूसरे छात्रों को परीक्षा में शामिल हुए बिना पास करने के लिए इस फॉर्मूले के साथ आई है, बिना व्यापक चर्चा के तैयार की गई है। यह नए छात्रों और रिपीटर्स/निजी छात्रों के बीच भेदभाव करती है। इसके साथ ही पुनरावर्तक छात्रों और उन निजी छात्रों को जिनके प्रथम वर्ष के पीयूसी अंक हैं, उन्हें भी उनके 10 वीं कक्षा और प्रथम वर्ष के पीयूसी अंकों के आधार पर अंक दिए जाने चाहिए। वास्तव में पुनरावर्तक छात्रों ने ऑफलाइन मोड में II पीयूसी कक्षाओं में भाग लिया है और उन्होंने नियमित उम्मीदवारों की तुलना में अधिक प्रयास किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट सिजी मलयिल ने कहा कि,
"तथाकथित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर समान रूप से रखे गए छात्रों को अलग-अलग मानदंडों का उपयोग करके अंक प्रदान करके तीसरे प्रतिवादी का कार्य बिना कोई वैध कारण बताए भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का स्पष्ट उल्लंघन है।"
इसके अलावा उन्होंने प्रस्तुत किया कि,
"चूंकि दोनों वर्गों के छात्रों के पास 10वीं कक्षा और प्रथम वर्ष की पीयूसी परीक्षा के संबंध में डेटा है, इसलिए नियमित छात्रों को उनके 10वीं कक्षा और प्रथम वर्ष के पीयूसी अंकों के आधार पर अंक देना और बिना किसी कारण के रिपीटर्स को 40% देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।"
याचिका में प्रतिवादियों से यह निर्देश देने की प्रार्थना की गई है कि वे अंक प्रदान करने के लिए नए छात्रों के समान पुनरावर्तक छात्रों के साथ व्यवहार करें और शैक्षणिक वर्ष 2020- 2021 के लिए II की पूर्व-विश्वविद्यालय परीक्षा में पुनरावर्तकों के लिए अंक प्रदान करने के मामले में फ्रेशर्स के लिए अपनाई गई समान पद्धति का पालन करें।
यह प्रतिवादी को कम से कम 45% अंक प्रदान करने का निर्देश देने का भी प्रयास करता है, जो कि 40% अंकों के बजाय विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए बुनियादी आवश्यकता है, ताकि अधिकांश पुनरावर्तक छात्र सुधार परीक्षा में बैठने से बच सकें जो महामारी के कारण एक संभावित जोखिम है।
मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।