कर्नाटक हाईकोर्ट ने वेतन के लिए एप्पल आईफोन यूनिट में तोड़फोड़ करने के दो आरोपियों को जमानत दी

LiveLaw News Network

18 March 2021 5:17 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने वेतन के लिए एप्पल आईफोन यूनिट में तोड़फोड़ करने के दो आरोपियों को जमानत दी

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को जमानत दी, जिन पर 12 दिसंबर, 2020 को कोलार तालुक में विस्ट्रॉन इन्फोकॉम कंपनी द्वारा संचालित एप्पल की आईफोन निर्माण यूनिट में तोड़फोड़ करने का आरोप लगा था।

    न्यायमूर्ति के. नटराजन की एकल पीठ ने आरोपी उदय बानू सिंह (23) और आरोपी विनोद कुमार (23) को जमानत दी, जो लगभग तीन महीने से हिरासत में थे।

    पीठ ने कहा कि,

    "रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों से पता चलता है कि यह मामला प्रर्दशन करने वाले लेबर, कॉन्ट्रैक्ट लेबर जैसे 7000 अज्ञात लोगों के खिलाफ है। रिकॉर्ड के आधार देखा गया कि उन्होंने बकाया वेतन की मांग की और प्रदर्शन किया, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वे लगभग तीन महीने से हिरासत में हैं। इसी तरह के आरोप में सह-अभियुक्त को भी इस अदालत ने जमानत दी।"

    पीठ ने आगे कहा कि,

    "इन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए आरोप, आरोपी नंबर 11 के समान हैं, जिसे जमानत मिली है। इसलिए, ये याचिकाकर्ता भी समानता के आधार पर जमानत के हकदार हैं।"

    अभियोजन का मामला

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, 12.12.2020 को सुबह 6.00 बजे विस्ट्रॉन इन्फोकॉम कंपनी के वर्कर, कॉन्टैक्ट लेबर और कुछ गुंडों के साथ मिलकर कंपनी के सामने गैरकानूनी रूप से एकजुट हुए और कंपनी को लूटने के इरादे से, कंपनी परिसर में प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की और एचआर ब्लॉक और कंपनी के अन्य हिस्सों के उपकरणों को तोड़ दिया।

    इसके अलावा, उन्होंने कंपनी के विभिन्न समानों को क्षति पहुंचाई और लैपटॉप लूट लिए, जिससे 4,37.70 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कंपनी के कार्यकारी अधिकारी प्रशांत टी.वी की शिकायत पर वेमाल पुलिस ने 7000 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143, 147, 148, 323, 395, 448, 435, 427, 504, 506 और धारा 149 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    जांच के दौरान पुलिस ने इन याचिकाकर्ताओं को 12.12.2020 को गिरफ्तार कर लिया और दावा था किया कि प्रत्येक याचिकाकर्ताओं के पास से पांच लैपटॉप बरामद किए गए हैं। याचिकाकर्ताओं ने जमानत के लिए सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

    याचिकाकर्ताओं के सबमिशन

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील विश्वनाथ के ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता कथित अपराध नहीं किया है और वह निर्दोष है और उनका नाम एफआईआर में नहीं है। सह-आरोपी को पहले ही इस अदालत ने जमानत दे दी है और ये याचिकाकर्ता लगभग तीन महीने से हिरासत में हैं। याचिकाकर्ता उन शर्तों का पालन करने के लिए तैयार हैं जो इस अदालत द्वारा लागू की जा सकती हैं।

    अभियोजन पक्ष ने दलील का विरोध किया।

    याचिकाकर्ताओं ने आंदोलन में भाग लिया और लैपटॉप लूटे और कंपनी की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। इसलिए जमानत याचिका खारिज करने की प्रार्थना की।

    कोर्ट का आदेश

    "ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता- आरोपी नंबर 3 और आरोपी नंबर 4 को जमानत पर रिहा किया जाए। ट्रायल कोर्ट द्वारा प्रत्येक याचिकाकर्ता को 1,00,000 रूपये के एक निजी बॉन्ड के साथ दो जमानती बॉन्ड या इसके ही समान राशि भरने पर संतुष्ट होने पर जमानत दी जाए।"

    कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि, "अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह के साथ याचिकाकर्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। वे (याचिकाकर्ता) सुनवाई की सभी तारीखों पर नियमित रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होंगे।"

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