प्ले स्टोर पेमेंट पॉलिसी: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीसीआई को निजी जानकारी उजागर करने से रोकने के लिए Google India की याचिका की सुनवाई योग्यता बरकरार रखी

Shahadat

15 July 2022 8:05 AM GMT

  • प्ले स्टोर पेमेंट पॉलिसी: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीसीआई को निजी जानकारी उजागर करने से रोकने के लिए Google India की याचिका की सुनवाई योग्यता बरकरार रखी

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को कंपनी की निजी जानकारी शिकायतकर्ता (एलायंस) को प्रकट करने से रोकने के लिए गूगल इंडिया की याचिका की स्थिरता को चुनौती दी गई थी।

    जस्टिस एसजी पंडित की एकल पीठ ने आयोग को अपने पास उपलब्ध कंपनी की जानकारी का खुलासा करने से रोकने के लिए पहले पारित अंतरिम आदेश को आगे बढ़ा दिया और प्रतिवादी को दो सप्ताह के भीतर याचिका पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने का निर्देश दिया।

    एलायंस ऑफ डिजिटल फाउंडेशन द्वारा दायर आवेदन में कहा गया,

    "भारत के संविधान 1950 के अनुच्छेद 226 के तहत आवश्यक कार्रवाई के कारण का कोई भी हिस्सा इस अदालत के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में नहीं आया, इसलिए रिट हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई योग्य नहीं है।"

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता नई दिल्ली में सीसीआई के समक्ष लंबित कार्यवाही में भाग ले रहे हैं, नई दिल्ली में आक्षेपित आदेश पारित किया गया है, उसी की प्रति है; नई दिल्ली में याचिकाकर्ताओं के वकील ने कार्य किया, इसलिए कार्रवाई के कारण का कोई भी हिस्सा इस न्यायालय की क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर नहीं आया।

    इसके अलावा यह उल्लेख किया गया कि Google Play बिलिंग सिस्टम की कार्यप्रणाली है, जो सीसीआई द्वारा जांच का विषय है। यह उन पक्षकारों द्वारा प्रबंधित की जाती है जो हाईकोर्ट की क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर नहीं आते हैं। यह तर्क दिया गया कि बेंगलुरु में याचिकाकर्ताओं के रजिस्टर्ड ऑफिस का अस्तित्व संविधान के भौतिक तथ्यों के अभाव में कर्नाटक हाईकोर्ट को अधिकार क्षेत्र प्रदान नहीं करता है।

    आवेदन में यह भी कहा गया कि कार्रवाई का कारण दिखाने के लिए किसी अन्य दलील के अभाव में याचिकाकर्ता का पता या याचिकाकर्ता का रजिस्टर्ड ऑफिस बेंगलुरु में है, इसका इस अदालत के अधिकार क्षेत्र पर कोई असर नहीं पड़ता है।

    आवेदन का गूगल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम और साजन पोववैया ने विरोध किया।

    आयोग द्वारा 18 अप्रैल को आदेश पारित किए जाने के बाद गूगल इंडिया ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कंपनी की गोपनीय जानकारी को प्रतिवादी दो के साथ साझा करने की अनुमति दी गई थी।

    कंपनी ने प्रस्तुत किया,

    "विनियम 35 (6) सपठित नियम 35 (8) को सामंजस्यपूर्ण रूप से व्याख्यायित किया जाए, जो प्रमुख प्रावधान है।"

    यह भी तर्क दिया गया कि गोपनीय जानकारी के आलोक में क्या सीसीआई द्वारा 35 (8) की अपेक्षाओं को पूरा किया गया है, अपने विवेक का प्रयोग करके और शर्तों को पूरा करने के संदर्भ में अपने निष्कर्षों को दर्ज करना एक ऐसा मामला है जिस पर इस अदालत द्वारा निर्णय लिया जाना है।

    प्रतिवादी नंबर दो की ओर से पेश एडवोकेट अबीर रॉय और गौतमादित्य श्रीधर ने पहले कहा था,

    "उनके द्वारा नियम 35 (7) के तहत दिया गया वचन गंभीर उपक्रम है, जिसे दिया गया है। इसे नोट करने की आवश्यकता है।"

    रॉय ने याचिका के विचारणीयता पर भी सवाल उठाया।

    इसके बाद अदालत ने 10 मई को अपने आदेश में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को शिकायतकर्ता एलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन को गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की गोपनीय जानकारी देने से रोक दिया।

    केस टाइटल: GOOGLE INDIA PRIVATE LIMITED और अन्य बनाम भारत प्रतियोगिता आयोग और अन्य

    केस नंबर: WP 9399/2022

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