Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा, बहुत अर्जेंट नहीं होने के आधार पर ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई को न टालें

LiveLaw News Network
13 May 2020 6:15 AM GMT
कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा, बहुत अर्जेंट नहीं होने के आधार पर ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई को न टालें
x

कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा है कि वह मामले की तह में जाए बिना इस आधार पर ज़मानत की अर्ज़ी पर सुनवाई को नहीं टाले कि मामला बहुत ज़रूरी नहीं है।

न्यायमूर्ति मोहम्मद नवाज़ ने कहा,

"क़ानून के अनुरूप ज़मानत की अर्ज़ी पर विचार एक अधिकार है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में समाहित किया जा सकता है।"

आरोपी इलियाज खान को लॉकडाउन के दौरान 4 अप्रैल को आईपीसी की धारा 341, 353, 504 के तहत गिरफ़्तार किया गया था। उसे एक महीना से अधिक समय तक जेल में रखा गया। ज़िला अदालत में उसने ज़मानत की अर्ज़ी दी और कहा कि उसकी ज़मानत की अर्ज़ी पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए।

ज़िला जज ने उसकी ज़मानत याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया और कहा कि यह बहुत ज़रूरी मामला नहीं है।

आरोपी की पैरवी करते हुए सुनील एस राव ने कहा कि याचिकाकर्ता पिछल एक माह से आईपीसी की धारा 341 के तहत अपराध के आरोप में जेल में है और इसके लिए उसे एक माह की जेल की सज़ा हो सकती है। उसकी ज़मानत की याचिका पर सुनवाई को किसी कारण से स्थगित नहीं किया जा सकता।

अदालत ने कहा,

"एक बार जब ज़मानत अर्ज़ी दी जा चुकी है यह व्यापक अर्थ में जीवन का प्रश्न होता है और इस पर क़ानून के तहत शीघ्रातिशीघ्र सुनवाई होनी चाहिए…।"

इसके अनुरूप अदालत ने संबंधित अदालत को निर्देश दिया कि वह ज़मानत की याचिका पर ग़ौर करे और सात दिन के अंदर इस पर निर्णय ले।



Next Story