एडवोकेट के क्लर्कों की संस्था की वित्तीय मदद की मांग वाली याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और कर्नाटक बार काउंसिल को नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
13 May 2020 11:00 AM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक राज्य और कर्नाटक बार काउंसिल को नोटिस जारी कर एडवोकेटों के क्लर्कों की संस्था द्वारा वित्तीय मदद की मांग करने वाली याचिका पर उनका जवाब मांगा है। कोरोना माहामारी के कारण अदालत का काम काज ठप हो जाने की वजह से एडवोकेटों के क्लर्कों की वित्तीय स्थिति ख़राब हो गई है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति शिवशंकर अमरन्नवर की पीठ इस मामले की सुनवाई 15 मई को करेगी। याचिकाकर्ता के एडवोकेट मूर्ती दयानंद नाइक को निर्देश दिया गया है कि वह इस याचिका की कॉपी राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष को भेजें।
एडवोकेटों के क्लर्क एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है कि भारी संख्या में क्लर्कों की नियमित आय का कोई ज़रिया नहीं है और वे अदालत में काम काज के चलते रहने से ही अपनी आजीविका कमाते थे जो कि अब COVID 19 महामारी के कारण बंद हो चुका है। इसकी वजह से इन क्लर्कों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। याचिका में जिन प्रतिवादियों को शामिल किया गया है उनमें से अभी तक किसी ने भी उन लोगों को वित्तीय मदद देने की पहल नहीं की है।
एसोसिएशन ने अदालत से उनके लिए 5 करोड़ रुपए का फंड बनाने का निर्देश देने की मांग की है ताकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उन्हें आजीविका के अधिकार से वंचित नहीं होना पड़े।
याचिका में राज्य बार काउंसिल को क्लर्कों को हर माह 20,000 रुपए देने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है।
अंतरिम राहत के रूप में राज्य को प्रति व्यक्ति 10,000 रुपए प्रति व्यक्ति/संघ के प्रति सदस्य को देने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है। यह राशि 25 मार्च से लेकर अदालत के सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देने तक देने की मांग की गई है।
अदालत में कामकाज नहीं होने के कारण इन क्लर्कों के पास कोई काम नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 16.04.2008 को राज्य को कर्नाटक एडवोकेट कल्याण कोष अधिनियम, 1983 के तहत कर्नाटक पंजीकृत क्लर्क कल्याण कोष जितना जल्दी हो सके और इस आदेश के छह माह के भीतर स्थापित करने को कहा था। इस आदेश पर अमल नहीं हुआ और आज तक इस दिशा में कोई क़दम नहीं उठाया गया है।