कर्नाटक हाईकोर्ट ने COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा

LiveLaw News Network

28 July 2020 9:09 AM GMT

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि राज्य में COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (KCET) आयोजित करने के निर्णय पर पुनर्विचार करें।

    13 मई को सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार केसीईटी को 30 और 31 जुलाई को आयोजित करने का प्रस्ताव है।

    मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने सरकार के इस फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं द्वारा ज़ाहिर की गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए देखा:

    "पिछले दो हफ्तों के दौरान, राज्य में हर दिन लगभग 5,000 COVID-19 पॉज़िटिव मामले सामने आए हैं और बेंगलुरु से लगभग 1500 नए मामले प्रतिदिन रिपोर्ट किए जाते हैं। बेंगलुरु में 5000 से अधिक कंटेंमेंट क्षेत्र हैं। सरकार के एसओपी का कहना है कि किसी को भी कंटेंमेंट एरिया छोड़ने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन भी उपलब्ध नहीं होगा। ऐसी भी आशंका है कि छात्र टेस्टन दे पाएं।"

    इन कारकों के प्रकाश में पीठ ने राज्य को सीईटी आयोजित करने के प्रश्न पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। राज्य को रिकॉर्ड पर अपना निर्णय बुधवार दोपहर 2.30 बजे न्यायालय के समक्ष रखना होगा।

    पीठ ने कहा,

    "हमें यकीन है कि राज्य कई पहलुओं पर विचार करेगा।"

    कोर्ट ने सीईटी परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देते हुए तीन रिट याचिकाओं में आदेश पारित किया।

    ये रिट याचिकाएं इन पक्षों ने दायर की थी :

    1) ग्रुप ऑफ स्टूडेंट्स और NSUI

    2) एडवोकेट प्रदीप

    3) एडवोकेट अब्दुल्ला मन्नान खान

    पीठ ने कहा कि 11 मई में लिए गए फैसले को चुनौती देने के लिए ये याचिकाएं 11 फैसले को अमल में लाने के सिर्फ 11घंटे पहले सुनवाई के लिए आईं। महामारी की वजह से उत्पन्न स्थिति को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित किया।

    पीठ ने कहा कि "13 मई के बाद स्थिति काफी बदल गई है।"

    कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता, ध्यान चिनप्पा से पूछा, " कंटेंमेंट एरिया में परीक्षा कैसे आयोजित की जा सकती है?"

    एएजी ने प्रस्तुत किया कि राज्य ने एसएसएलसी परीक्षा आयोजित की है और यह एक मानक संचालन प्रक्रिया है।

    पीठ ने हालांकि, COVID-19 मामलों में भारी वृद्धि पर प्रकाश डाला और राज्य से निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।

    याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि "ऐसी भयानक परिस्थितियों" के तहत परीक्षा आयोजित करना छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए मनमाना और जोखिम भरा था, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

    याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि परीक्षा क्षेत्र में छात्रों को परीक्षा में शामिल होने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप छात्र समुदाय को समान अवसरों से वंचित रखा जाएगा, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता खंड का उल्लंघन है।

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