जस्टिस सूर्यकांत ने जमानत पर सुनवाई के दौरान अपनी कृषि भूमि में चोरी का निजी अनुभव सुनाया
Sharafat
27 Jun 2022 8:37 PM IST
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान अपनी कृषि भूमि में चोरी का एक व्यक्तिगत अनुभव साझा किया। अपीलकर्ता के वकील ने 'छोटा अपराध' होने का दावा करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी कृषि भूमि में हुई चोरी की घटना का किस्सा सुनाया।
उन्होंने कहा कि जब उनकी जमीन का केयरटेकर शिकायत दर्ज कराने थाने गया तो थाना प्रभारी ने टिप्पणी की थी कि कुछ दिन पहले ही कोर्ट ने चोर को जमानत दे दी है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,
" मेरे पास कुछ कृषि भूमि और ट्यूब वेल हैं। सुबह के समय मेरे कार्यवाहक ने मुझे फोन किया और कहा कि चोरी हुई है और पोल और ट्यूबवेल से तांबे के तार चोरी हो गए हैं। मैंने उनसे स्थानीय पुलिस में शिकायत करने के लिए कहा। ... एसएचओ ने एक टिप्पणी की 'क्या करें है? इन चोर को हमने परसो ही कोर्ट में पेश किया था। (इस चोर को कल से एक दिन पहले अदालत में पेश किया गया था)।"
न्यायाधीश ने यह टिप्पणी उस समय की जब अपने मुवक्किल के लिए जमानत की मांग कर रहे एक वकील ने तर्क दिया कि मामला एक "छोटा अपराध" का है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हालांकि अपराध 'गंभीर नहीं' है, लेकिन यह उनके मुवक्किल के 14 मामलों में शामिल होने से संबंधित है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच को वकील ने अवगत कराया कि अपीलकर्ता ने अन्य सभी मामलों में जमानत हासिल कर ली है।
जस्टिस सूर्यकांत ने 14 मामलों में संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए माना कि अपीलकर्ता ने अपना रास्ता नहीं बदला है।
उन्होंने कहा,
"यह एक और समस्या है। एक बार जब आपको जमानत मिल जाती है, तो आप वही काम फिर से शुरू कर देते हैं।"
वर्तमान मामले में अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुए पीठ ने अपीलकर्ता को आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया। यह आगे नोट किया -
"ट्रायल कोर्ट मामले की जल्द सुनवाई करेगा और फैसला करेगा।"
जस्टिस सूर्यकांत ने इससे पहले एक अवसर पर दिल्ली में वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कहा था कि वह अभी भी एक किसान हैं और वह अपने मूल स्थान पर कृषि गतिविधियां करते हैं। यह टिप्पणी तब की गई जब पराली जलाने का मुद्दा चर्चा में आया। उन्होंने कहा कि एक किसान के रूप में वह किसानों की कठिनाइयों को समझने की स्थिति में हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि किसी को भी किसानों की दुर्दशा से कोई सरोकार नहीं है, कौन से परिस्थितियों में वे पराली जलाने को मजबूर हैं, और कौन से कारणों से वे सरकारों द्वारा सुझाई जा रही इन वैज्ञानिक रिपोर्टों का पालन करने में असमर्थ हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था,
"दिल्ली में 5 स्टार में बैठे लोग किसानों को दोष देते रहते हैं, कि 4%,5% उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाता है। कृषि कानूनों के बाद उनकी भूमि का क्या हुआ? इतनी छोटी जोत के साथ, क्या वे इन मशीनों को खरीद सकते हैं? यदि आपके पास वास्तव में कोई वैज्ञानिक वैकल्पिक है तो उन्हें इसका प्रस्ताव दें, वे उन्हें अपना लेंगे।"