हाईवे पर शराब की दुकानों पर हाईकोर्ट का सख्त रुख, राजस्थान सरकार से दो महीने में हटाने या स्थानांतरित करने का आदेश

Amir Ahmad

1 Dec 2025 4:05 PM IST

  • हाईवे पर शराब की दुकानों पर हाईकोर्ट का सख्त रुख, राजस्थान सरकार से दो महीने में हटाने या स्थानांतरित करने का आदेश

    राजस्थान हाईकोर्ट ने राजमार्गों पर शराब दुकानों के संचालन को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए बड़ा आदेश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों से 500 मीटर की प्रतिबंधित सीमा के भीतर स्थित सभी शराब की दुकानों को, चाहे वे नगर निकाय क्षेत्र, स्थानीय स्वशासन संस्थाओं या विकास प्राधिकरणों की सीमा में ही क्यों न आती हों, दो माह के भीतर हटाया या स्थानांतरित किया जाए।

    चीफ जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी एवं जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई सीमित विवेकाधिकार की छूट का दुरुपयोग किया और उसके सहारे राजमार्गों के निकट 1102 शराब दुकानों को अनुमति देकर उस विवेकाधिकार का मजाक बनाया गया।

    मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष यह तथ्य रखा गया कि वर्ष 2025 में राज्य में शराब के नशे में वाहन चलाने से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में तेज वृद्धि हुई। यह भी स्पष्ट किया गया कि राजमार्गों के पास शराब दुकानों की मौजूदगी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।

    अदालत ने तमिलनाडु राज्य बनाम के. बालू मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें तेज रफ्तार और शराब सेवन से होने वाली दुर्घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों की बाहरी सीमा से 500 मीटर के भीतर शराब दुकानों पर रोक लगाई गई। बाद में नगर निकाय क्षेत्रों में स्थित दुकानों को लेकर राज्यों को विवेकाधिकार दिया गया कि वे निर्णय लें कि उक्त सिद्धांत को स्थानीय निकाय व विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में भी लागू किया जाए या नहीं।

    इस प्रकरण में आबकारी विभाग द्वारा दायर हलफनामे से सामने आया कि उसी विवेकाधिकार के नाम पर राज्य सरकार ने 1102 दुकानों को राजमार्गों पर संचालित रहने दिया, जिनसे लगभग 2221.78 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हो रहा है। इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक जीवन और सुरक्षा की संवैधानिक जिम्मेदारी को राजस्व हितों के अधीन नहीं किया जा सकता। वित्तीय लाभ मानव जीवन की सुरक्षा से ऊपर नहीं हो सकते।

    अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि शराब के दुरुपयोग और लापरवाह ड्राइविंग ने खतरनाक स्तर छू लिया और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार पर सीधा खतरा बन चुका है। शहरी सीमाओं के लगातार विस्तार को बहाना बनाकर राजमार्गों के पास शराब दुकानों को बनाए रखना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मंशा के विपरीत है। इससे पूरी सुरक्षा व्यवस्था निष्फल हो जाती है।

    इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों से 500 मीटर की सीमा के भीतर स्थित सभी शराब दुकानों को दो माह के भीतर हटाया या स्थानांतरित किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि स्थानांतरण के बाद भी राजमार्गों से शराब की उपलब्धता संबंधी कोई होर्डिंग, संकेतक या विज्ञापन दिखाई न दे।

    मामले की अगली सुनवाई 26 जनवरी, 2025 को होगी।

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