बहू द्वारा दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले में 74 वर्षीय ससुर को मिली जमानत

Amir Ahmad

29 April 2025 2:42 PM IST

  • बहू द्वारा दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले में 74 वर्षीय ससुर को मिली जमानत

    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम अग्रिम जमानत दी, जिसके खिलाफ उसकी अपनी बहू द्वारा दर्ज कराए गए बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के तहत आरोप दर्ज किए गए थे। FIR में BNS की धारा 333, 76, 115 (2) और 352 सहित अन्य अपराध भी शामिल हैं।

    जस्टिस संजय धर की पीठ ने यह देखते हुए अग्रिम जमानत दी कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों में प्रथम दृष्टया योग्यता है, जिसके लिए जमानत देने में न्यायालय की सहभागिता की आवश्यकता है।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह 74 वर्ष का है और इस उम्र में यह अत्यधिक असंभव है कि वह अपनी बहू पर यौन हमला करेगा।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पति (याचिकाकर्ता के बेटे) की मृत्यु के बाद पीड़िता ने दूसरी शादी कर ली और कथित तौर पर याचिकाकर्ता की संपत्ति में हिस्सा चाहती है।

    उन्होंने आगे कहा कि संपत्ति पर निषेधाज्ञा के लिए दीवानी मुकदमा पहले से ही लंबित है और याचिकाकर्ता के पक्ष में एक अंतरिम आदेश पारित किया गया। दावा किया कि FIR और आपराधिक मामला उसकी संपत्ति हड़पने के लिए दबाव की रणनीति थी।

    यह भी तर्क दिया गया कि पीड़िता ने CrPC की धारा 164-A के तहत अपने बयान के दौरान नए आरोप पेश किए, जिसमें कहा गया कि उसके पति की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता ने दो मौकों पर उस पर जबरन यौन उत्पीड़न किया था, जिसका मूल रूप से FIR में उल्लेख नहीं किया गया।

    अदालत ने प्रतिवादी को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने और संबंधित SHO के माध्यम से पीड़िता को नोटिस देने के लिए नोटिस जारी किया।

    इस बीच अदालत ने निर्देश दिया कि उपरोक्त FIR में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी की स्थिति में उसकी गिरफ्तारी की प्रत्याशा में उसे अंतरिम जमानत पर स्वीकार किया जाएगा।

    निर्देश दिया कि 50,000 रुपये के जमानत बांड और जमानती के साथ जमानत दी जाए। साथ ही शर्त यह भी रखी जाए कि वह आवश्यकता पड़ने पर अदालत में उपस्थित रहेगा और साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।

    पूरा मामला

    याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत मांगी और पुलिस स्टेशन नौशेरा में उसके खिलाफ दर्ज आरोपपत्र को भी चुनौती दी।

    उसकी बहू ने FIR दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ने उसे जबरन छूकर उसकी गरिमा को ठेस पहुचाने का प्रयास किया और याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी दोनों ने उसके साथ मारपीट की और उसके कपड़े फाड़ दिए।

    BNS की धारा 333, 64, 76, 115(2) और 352 के तहत अपराधों के लिए चालान दायर किया गया था।

    याचिकाकर्ता ने पहले प्रिंसिपल सेशन जज राजौरी के समक्ष अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे उसकी पत्नी को मंजूर कर लिया गया लेकिन उसके लिए खारिज कर दिया गया, जिसके कारण उसे हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका दायर करनी पड़ी।

    केस टाइटल: मोहम्मद अयूब बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, 2025

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