हाईकोर्ट जज ने जबरदस्ती बेदखली मामले में आज़म खान की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
Amir Ahmad
22 Nov 2025 11:42 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आज़म खान द्वारा रामपुर में 2016 के यतीम खाना बेदखली मामले से संबंधित याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
मामले से खुद को अलग करते हुए जस्टिस जैन ने निर्देश दिया कि मामले में ट्रायल कोर्ट को अंतिम फैसला सुनाने से रोकने वाला अदालत का पिछला अंतरिम आदेश अगली सुनवाई की तारीख तक लागू रहेगा।
अब उम्मीद है कि चीफ जस्टिस द्वारा नॉमिनेट किए जाने के बाद यह मामला किसी दूसरे जज के सामने लिस्ट किया जाएगा।
यह मामला 15 अक्टूबर, 2016 की एक कथित घटना से संबंधित है, जिसमें रामपुर में स्थित यतीम खाना वक्फ नंबर 157 के नाम से जानी जाने वाली वक्फ संपत्ति पर अवैध ढांचों को गिराने का आरोप है।
2019 और 2020 के बीच दर्ज की गई कुल 12 FIR को पिछले साल अगस्त में स्पेशल जज (MP/MLA), रामपुर ने एक ही ट्रायल में मिला दिया। आरोपों में IPC के तहत डकैती, घर में घुसपैठ और आपराधिक साजिश शामिल हैं।
हाईकोर्ट में दायर याचिका 30 मई को ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेशों को चुनौती देती है, जिसमें बचाव पक्ष के मुख्य गवाहों को दोबारा बुलाने और इलेक्ट्रॉनिक सबूत पेश करने के आवेदन को खारिज कर दिया गया।
संक्षेप में मामला
आज़म खान और अन्य लोगों की शिकायतें ट्रायल कोर्ट द्वारा उनके रिकॉल आवेदनों को खारिज करने के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं, जिसमें मुख्य गवाहों, विशेष रूप से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़फर अहमद फारूकी से दोबारा पूछताछ करने और महत्वपूर्ण वीडियो फुटेज को शामिल करने की मांग की गई थी, जो घटना स्थल पर उनकी गैरमौजूदगी को साबित कर सकता था।
इससे पहले जस्टिस जैन ने कहा था कि 'पूरी कार्यवाही' रद्द करने की प्रार्थना को हटा दिया जाना चाहिए ताकि इन आवेदनों को खारिज करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश के गुणों पर प्रभावी सुनवाई हो सके।
11 जून को हाईकोर्ट ने ट्रायल की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी थी लेकिन निचली अदालत को अंतिम फैसला सुनाने से रोक दिया। यह राहत समय-समय पर बढ़ाई जा रही है।

