2024 लोकसभा चुनाव प्रचार में झूठे बयान के आरोप पर एच.डी. कुमारस्वामी के खिलाफ दर्ज FIR पर लगी रोक
Amir Ahmad
4 Dec 2025 5:22 PM IST

कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की आगे की सभी कार्यवाहियों पर अंतरिम रोक लगा दी। यह मामला 2024 के आम चुनाव प्रचार के दौरान कथित तौर पर झूठा बयान देने से जुड़ा है।
जस्टिस एस. सुनील दत्त यादव ने गुरुवार 4 दिसंबर को कुमारस्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला विचार की मांग करता है। उन्होंने आदेश दिया कि बेंगलुरु स्थित 42वें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) की अदालत में लंबित कार्यवाही पर अगली सुनवाई तक रोक रहेगी। अंतरिम आदेश अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा और मामले को जनवरी के तीसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया गया।
FIR के अनुसार 14 अप्रैल, 2024 को चुनाव प्रचार के दौरान कुमारस्वामी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) उम्मीदवार सी. सोमन्ना के समर्थन में भाषण देते हुए उनके प्रतिद्वंद्वी (कथित तौर पर) को गैंगस्टर कोटवाल रामचंद्र का शिष्य बताया था और यह टिप्पणी की थी कि ऐसा व्यक्ति राज्य और देश के हितों की रक्षा कैसे कर सकता है। इस भाषण की खबर अगले दिन स्थानीय अख़बार में प्रकाशित हुई थी। उल्लेखनीय है कि उस समय आदर्श आचार संहिता 16 मार्च 2024 से ही लागू थी।
इस आधार पर कुमारस्वामी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 171G (चुनाव से संबंधित झूठा बयान) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123(4) (भ्रष्ट आचरण) के तहत मामला दर्ज किया गया।
मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने बी-रिपोर्ट (रद्दीकरण रिपोर्ट) दाखिल की थी, जिसमें आरोपों को टिकाऊ न मानते हुए मामला बंद करने की सिफारिश की गई। हालांकि बाद में एक 'अतिरिक्त जांच रिपोर्ट' अदालत में पेश की गई, जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने कथित तौर पर एकतरफा ढंग से बी-रिपोर्ट को खारिज करते हुए कुमारस्वामी के खिलाफ संज्ञान ले लिया और IPC के तहत अपराध बनता पाया।
15 नवंबर 2025 को मजिस्ट्रेट अदालत से कुमारस्वामी को समन जारी किए गए, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान, कुमारस्वामी की ओर से दलील दी गई कि बी-रिपोर्ट के बावजूद, अदालत द्वारा संज्ञान लेना मजिस्ट्रेट कोर्ट के पूर्णतः गैर-तार्किक दृष्टिकोण और आवेदन-मन की कमी को दर्शाता है। यह भी कहा गया कि पूरी शिकायत अख़बारों में प्रकाशित समाचारों पर आधारित थी और जिन पत्रकारों ने रिपोर्ट प्रकाशित की, उनके CrPC की धारा 161 के तहत दर्ज बयानों में भी यह बात सामने आई कि आरोपी ने कथित उम्मीदवार का नाम नहीं लिया था।
इन दलीलों के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधित फ्लाइंग स्क्वॉड सदस्य को नोटिस जारी करते हुए अंतरिम राहत प्रदान की और कुमारस्वामी के खिलाफ चल रही सभी आगे की कार्यवाहियों पर रोक लगा दी।
फिलहाल इस आदेश से कुमारस्वामी को बड़ी राहत मिली और अब हाईकोर्ट जनवरी में होने वाली अगली सुनवाई में इस मामले के कानूनी पहलुओं पर विस्तार से विचार करेगा।

