देश के जजों ने जस्टिस एस. मुरलीधर को भारतीय न्यायपालिका के स्टीव जॉब्स के रूप में देखा: जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम
LiveLaw News Network
16 Aug 2021 8:21 AM IST
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम ने न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर (उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश) के अपने कोर्ट रूम में ई-फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू करने में दिए गए योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि देश के जजों ने न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुरलीधर के ई-जस्टिस में उनके योगदान के लिए भारतीय न्यायपालिका के स्टीव जॉब्स के रूप में देखा है।
न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने कैन फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जोधपुर और गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, गांधीनगर के साथ साझेदारी में आयोजित एक संगोष्ठी में अपना भाषण देते हुए ये टिप्पणियां कीं। कार्यक्रम का विषय था- हर किसी को जस्टिस मिले इसके लिए प्रक्रिया मजबूत करना - वर्चुअल कोर्ट तक पहुंच बढ़ाना।
न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने कहा कि यद्यपि भारतीय न्यायपालिका ने वर्ष 2005 में ई-कोर्ट परियोजना की अवधारणा की थी, लेकिन उन्होंने कहा महामारी के बाद ही कानूनी भवन वर्चुअल कोर्ट की वास्तविक क्षमता का एहसास कर सका।
जज ने ऑनलाइन और वर्चुअल कोर्ट के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए जोर देकर कहा कि वर्चुअल सुनवाई में न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और वादियों को सुनवाई के लिए उपलब्ध होने की आवश्यकता है, जबकि ऑनलाइन अदालतों में प्रतिभागियों को एक साथ उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है।
साथ ही उन्होंने कहा कि भारत ऑफ़लाइन समस्या के ऑनलाइन समाधान की खोज में अकेला नहीं है और कई देशों, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी फिजिकल से वर्चुअल मोड में स्विच करने की आवश्यकता को महसूस किया है।
जस्टिस रामसुब्रमण्यम अंत में अपने मुख्य भाषण को समाप्त करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका से एक वास्तविक जीवन की घटना का एक वीडियो साझा किया, जिसमें एक वर्चुअल कोर्ट रूम के पीठासीन न्यायाधीश ने गवाह के असामान्य व्यवहार को महसूस करने के बाद दबाव यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की कि स्क्रीन पर दिखाई देने वाला गवाह किसी भी प्रकार से मानसिक स्थिति में नहीं है।