PMLA मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल न करने पर हाईकोर्ट ने ED पर लगाया जुर्माना
Amir Ahmad
6 Aug 2025 3:24 PM IST

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार (6 अगस्त) को फिल्म निर्माता आकाश भास्करन और व्यवसायी विक्रम रवींद्रन द्वारा उनके आवास और कार्यालय पर की गई ED की तलाशी के खिलाफ दायर तीन याचिकाओं में प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने कहा कि पिछली सुनवाई में अदालत ने निदेशालय को अंतिम अवसर के रूप में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय दिया था। इसलिए जब विशेष अभियोजक ने आज जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा तो अदालत ने कहा कि वह समय तो देगी लेकिन निदेशालय पर जुर्माना भी लगाएगी।
अदालत ने तीनों याचिकाओं पर प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया और निदेशालय को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।
निर्माता और व्यवसायी ने ED की कार्रवाई को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था। आरोप लगाया गया कि ED ने याचिकाकर्ताओं के आवासीय फ्लैट और कार्यालय को सील कर दिया था क्योंकि तलाशी के समय वह बंद था।
इसके बाद अदालत ने निदेशालय को वे दस्तावेज़ पेश करने का निर्देश दिया, जिनके आधार पर ED ने कार्रवाई शुरू की थी। दस्तावेज़ों का अवलोकन करने के बाद अदालत ने माना कि जिस प्राधिकरण के आधार पर ED ने याचिकाकर्ताओं के कार्यालयों और आवासों पर तलाशी ली थी। वह प्रथम दृष्टया अधिकार क्षेत्र से बाहर था, क्योंकि उनके खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक सामग्री उपलब्ध नहीं थी।
अदालत ने यह भी कहा कि ED द्वारा पेश की गई सामग्री में ऐसी कोई जानकारी नहीं थी, जिसके आधार पर ED ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया हो।
इस प्रकार, अदालत ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ED द्वारा शुरू की गई सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी थी।
वर्तमान में जब याचिका पर सुनवाई हुई तो याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि TASMAC मामले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों से उनका कोई संबंध नहीं है। यह प्रस्तुत किया गया कि ED के पास उपलब्ध एकमात्र सामग्री यह थी कि याचिकाकर्ता का नंबर TASMAC के प्रबंध निदेशक के मोबाइल फोन में सेव था। यह भी दलील दी गई कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि याचिकाकर्ताओं ने मामले से जुड़े लोगों को कॉल या व्हाट्सएप संदेश भेजे थे।
ED के विशेष अभियोजक एन रमेश ने प्रतिवाद दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करते हुए कहा कि निदेशालय एक व्यापक प्रतिवाद दाखिल करना चाहता है जिसके लिए कुछ और समय की आवश्यकता है। यह भी दलील दी गई कि कुछ अधिकारियों का तबादला हो चुका है और नए अधिकारी मामले का प्रबंधन कर रहे हैं।
अदालत ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया और कहा कि वह जुर्माना लगाने के बाद ही अतिरिक्त समय दे सकती है।
केस टाइटल: आकाश भास्करन बनाम संयुक्त निदेशक

