न्यायमूर्ति मोहन शांतनगौदर का निधन: इलाहाबाद और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय 26 अप्रैल को बंद रहेंगे

Sparsh Upadhyay

25 April 2021 10:49 PM IST

  • Justice Mohan Shantanagoudars Demise

    सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मोहन मल्लिकार्जुनगौड़ा शांतनगौदर के निधन के मद्देनजर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति ने सर्वसम्मति से 26 अप्रैल 2021 को इलाहाबाद और लखनऊ में उच्च न्यायालय में न्यायालयों के बंद रखने के प्रस्ताव किया है।

    तदनुसार, यह निर्देश दिया गया है कि 26 अप्रैल 2021 को इलाहाबाद और लखनऊ में उच्च न्यायालय की बैठक नहीं होगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, संजय यादव ने 25 अप्रैल 2021 को इस संबंध में एक आदेश पारित किया है।

    साथ ही, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और पंजाब, हरियाणा और यूटी, चंडीगढ़ के सभी अधीनस्थ न्यायालय भी न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतनगौदर के निधन के कारण सोमवार (26 अप्रैल) को बंद रहेंगे।

    सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मोहन मल्लिकाराजनागौड़ा शांतनगौदर का 24 अप्रैल को 62 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

    उन्हें फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था, उनका कार्यकाल 5 मई, 2023 तक था।

    सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले, वे केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। उनका मातृ उच्च न्यायालय कर्नाटक उच्च न्यायालय था।

    जस्टिस शांतनगौदर ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल में दिए गए कई उल्लेखनीय फैसलों के जरिए अपनी छाप छोड़ी।

    उन्होंने 05.09.1980 को एक वकील के रूप में दाखिला लिया। उन्होंने एक साल तक धारवाड़ में श्री आई.जी. हिरेगौदर के चैंबर में प्रैक्टिस की। उन्होंने श्री शिवराज वी पाटिल, एडवोकेट (जैसा कि वे तब थे) का चैंबर्स ज्वॉइन किया।

    उन्होंने वर्ष 1984 में अपनी खुद की प्रैक्टिस शुरू की।

    उन्होंने मुख्य रूप से सिविल, आपराधिक और संवैधानिक मामलों में अभ्यास किया।

    उन्होंने 1991 से 1993 तक कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष और 1995 और 1996 के दौरान कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1999 से 2002 तक कर्नाटक राज्य के राज्य लोक अभियोजक के रूप में सेवा की।

    उन्हें 12.05.2003 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और 24.09.2004 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

    स्थानांतरण पर उन्होंने केरल के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने 22.09.2016 को केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

    नोटिस पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें


    Next Story