इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस अतुल श्रीधरन ने ली पद एवं गोपनीयता की शपथ
Amir Ahmad
11 Nov 2025 5:38 PM IST

जस्टिस अतुल श्रीधरन ने आज यानी मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ग्रहण की। उन्हें चीफ जस्टिस अरुण भंसाली ने पद की शपथ दिलाई।
इस नियुक्ति के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत जजों की संख्या बढ़कर 110 हो गई है, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 160 है।
जस्टिस श्रीधरन इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जज के रूप में कार्यरत थे। 19 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिसूचित किया था। इससे पहले 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने अपने पूर्व प्रस्ताव में बदलाव किया था, जिसमें उनका तबादला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के लिए प्रस्तावित था। केंद्र ने उस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने अगस्त में विभिन्न हाईकोर्टों के 14 जजों के स्थानांतरण की सिफारिश की थी, जिसमें जस्टिस श्रीधरन का नाम भी शामिल था।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अपने विदाई समारोह में जस्टिस श्रीधरन ने शायर राहत इंदौरी का हवाला देते हुए कहा था कि स्थानांतरण सेवा का अभिन्न हिस्सा है और इस ब्रह्मांड में एक ही चीज़ स्थायी है, और वह है अस्थिरता।
24 मई, 1966 को जन्मे जस्टिस अतुल श्रीधरन ने 1992 में दिल्ली में सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम के चैंबर में कार्य करना शुरू किया और 1997 तक वहीं रहे। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट में अनेक सिविल और आपराधिक मामलों में उनका सहयोग किया।
1997 से दिसंबर 2000 तक उन्होंने दिल्ली में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। वर्ष 2001 में वे इंदौर स्थानांतरित हुए और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में लगातार स्वतंत्र प्रैक्टिस की। उन्होंने आपराधिक मुकदमों, कुछ दीवानी मामलों सेवा विवादों, रिट याचिकाओं और उपभोक्ता फोरम में चिकित्सा लापरवाही से जुड़े मामलों की स्वतंत्र पैरवी की।
उन्होंने 2001 से 2003 तक मध्य प्रदेश की ओर से पैनल वकील के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद केंद्र सरकार ने 2005 में उन्हें केंद्रीय सरकार के वकील के रूप में नियुक्त किया, जहां वह 2008 तक केंद्र की ओर से पेश होते रहे। वर्ष 2010 में उन्हें केंद्रीय सरकार के सीनियर पैनल वकील के रूप में नियुक्त किया गया और 2013 तक उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई।
अप्रैल, 2016 में उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया और मार्च, 2018 में उन्हें स्थायी जज बनाया गया।

