मुआवजे पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना नहीं चलेगा: राष्ट्रीय राजमार्ग अधिग्रहण विवादों के लिए मध्यस्थता कानून ही अनिवार्य
Amir Ahmad
23 Oct 2025 12:58 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिग्रहण से जुड़े मुआवजे के मामलों में निर्णायक फैसला सुनाया, जिसके तहत ज़मीन मालिकों को सीधे हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर करने से रोक दिया गया।
कोर्ट ने साफ किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम (NH Act) की धारा 3G के तहत दिए गए मुआवजे को चुनौती देने के लिए मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (Arbitration Act) ही एकमात्र कानूनी रास्ता है।
जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने यह व्यवस्था दी कि यदि मुआवजे की राशि से असंतुष्ट हर व्यक्ति सीधे अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट आने लगे तो इससे अदालतें उन मामलों से भर जाएंगी, जिन्हें निपटाने के लिए संसद ने एक विशेष मध्यस्थता तंत्र बनाया है। इस तरह की छूट देना कानून बनाने के पीछे विधायिका के मूल इरादे को निष्प्रभावी कर देगा।
कानून का उल्लंघन करके सीधी याचिका मंजूर नहीं
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि NH Act की धारा 3G(6) स्पष्ट रूप से कहती है कि मुआवजे के विवादों को मध्यस्थता के जरिए ही निपटाया जाएगा। इसका मतलब है कि मध्यस्थ के अवार्ड को चुनौती देने के लिए भी मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 का उपयोग करना अनिवार्य है।
कोर्ट ने कहा कि मुआवजे की दरों के निर्धारण और भूमि के सही मूल्यांकन से जुड़े विवाद तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित होते हैं। इन मामलों की जटिलता को देखते हुए इन्हें विशेष रूप से धारा 34 की कार्यवाही के लिए आरक्षित रखा गया, न कि हाईकोर्ट के रिट क्षेत्राधिकार के लिए।
असाधारण स्थिति में ही मिलेगी छूट
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों के अनुसार मध्यस्थता अवार्डों को केवल तभी रिट क्षेत्राधिकार में चुनौती दी जा सकती है, जब कोई आदेश "कानून की पूर्ण अवहेलना, क्षेत्राधिकार की कमी, या प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन" जैसे बेहद दुर्लभ और असाधारण आधारों पर पारित किया गया हो। मुआवजे की कमी जैसे साधारण आधारों पर सीधे हाई कोर्ट आना न्यायोचित नहीं है।
अतः हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की रिट याचिका खारिज की और उन्हें मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 के तहत सक्षम न्यायालय के समक्ष कानूनी उपाय अपनाने की स्वतंत्रता दी।
बता दें, यह फैसला न्यायिक प्रशासन को सुव्यवस्थित रखने और वैधानिक प्रक्रिया के महत्व को स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

