जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने महिलाओं से संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन पर सरकार, एसएलएसए से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

28 Dec 2021 7:23 PM IST

  • Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K

    जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रशासन से पूछा कि क्या वे महिलाओं से संबंधित योजनाओं [विशेष रूप से 'महिला हेल्पलाइन' (WHL) और 'वन स्टॉप केंद्र' (ओएससी) योजनाएं] के कार्यान्वयन से संतुष्ट हैं। यदि वे संतुष्ट नहीं हैं तो न्यायालय ने सुधार लाने के संबंध में उनके सुझाव मांगे हैं ताकि योजनाओं को स्वतंत्र रूप से लागू किया जा सके और उन्हें निष्क्रिय न किया जा सके।

    चीफ जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पुनीत गुप्ता की खंडपीठ ने सचिव, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण, जम्मू-कश्मीर से ऐसी योजनाओं के संबंध में स्वतंत्र रूप से अपना इनपुट प्रस्तुत करने का जवाब भी मांगा है।

    न्यायालय अमन सत्य काचरू ट्रस्ट द्वारा अपने संस्थापक ट्रस्टी प्रोफेसर राजेंद्र काचरू के माध्यम से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें जम्मू और कश्मीर में सभी महिला संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन के मामले में केंद्र शासित प्रदेश को दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एसएलएसए के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की मांग की गई थी।

    जनहित याचिका विशेष रूप से महिलाओं के लिए डब्ल्यूएचएल और ओएससी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए दायर की गई है और याचिका में महिला एवं बाल विकास विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है कि इन योजनाओं को दिशा-निर्देशों और उद्देश्यों के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश में लागू किया जाए।

    योजनाओं की पृष्ठभूमि

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि 2012 में दिल्ली में सामूहिक बलात्कार के मद्देनजर जिसे आमतौर पर 'निर्भया का मामला' कहा जाता है, जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था और उक्त समिति ने महिलाओं को (i) न्याय तक पहुंच; (ii) सरकारी सेवाओं तक पहुंच; और (iii) राज्य और केंद्र सरकार दोनों की कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए कुछ योजनाओं की सिफारिश की थी।

    योजनाओं को पूरी तरह से महिला और बाल विकास मंत्रालय (WMC) द्वारा निर्भया कोष से वित्त पोषित किया जाना था।

    इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 की सिविल रिट याचिका संख्या 565, 'निपुण सक्सेना बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 2019 के अंत से पहले प्रत्येक जिले में कम से कम 'वन स्टॉप सेंटर' (ओएससी) स्थापित करने के लिए कहा था।

    इस पृष्ठभूमि में जनहित याचिका दायर की गई थी कि क्या 'डब्ल्यूएचएल' और 'ओएससी' की योजनाओं को दिशानिर्देशों के अनुसार लागू किया जा रहा है और क्या ऐसे एनजीओ को कुछ जिलों में योजनाओं को संचालित करने की अनुमति दी गई है, जो उक्त योजनाओं को चलाने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं।

    जनहित याचिका में यह प्रस्तुत किया गया है कि जम्मू और कश्मीर में ये WHL और OSCs योजना की आवश्यक विशेषताओं के अनुरूप नहीं हैं। इसके आलोक में कोर्ट ने उपरोक्त शर्तों में नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। मामले को आगे की सुनवाई के लिए 7 मार्च, 2022 को पोस्ट किया गया है।

    केस शीर्षक- अमन सत्य काचरू ट्रस्ट बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य और अन्य

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