जौहर यूनिवर्सिटी ज़मीन विवाद| इलाहाबाद हाईकोर्ट में यूपी सरकार का आरोप, सरकारी भूमि का दुरुपयोग किया गया

Shahadat

8 Dec 2023 7:29 AM GMT

  • जौहर यूनिवर्सिटी ज़मीन विवाद| इलाहाबाद हाईकोर्ट में यूपी सरकार का आरोप, सरकारी भूमि का दुरुपयोग किया गया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को जौहर विश्वविद्यालय से संबंधित भूमि (लीज डीड रद्द करके) पर कब्जा करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के ट्रस्ट (मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट), रामपुर द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई की।

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रस्ट की याचिका को "तत्काल प्रवेश" के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिए जाने के कुछ दिनों बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

    ट्रस्ट की ओर से पेश होते हुए सीनियर एडवोकेट अमित सक्सेना ने यूपी सरकार द्वारा लीज डीड रद्द करने और संपत्ति को सील करने में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगाया।

    यह ट्रस्ट का प्राथमिक तर्क है कि अनुसंधान संस्थान के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले समिति के किसी भी सदस्य या ट्रस्ट को कोई नोटिस नहीं दिया गया और याचिकाकर्ता ट्रस्ट को विशेष जांच दल की रिपोर्ट कभी नहीं दी गई।

    इसके अलावा, यह भी तर्क दिया गया कि यदि याचिकाकर्ता को उस सामग्री के साथ सामना कराया गया, जिस पर लीज रद्द करने और परिसर को सील करने के लिए भरोसा किया गया तो वह पर्याप्त रूप से जवाब दे सकता। हालांकि, किसी भी सामग्री या सबूत के अभाव में और इस बात की जानकारी के अभाव में कि लीज क्यों रद्द किया जा रहा है, याचिकाकर्ता राज्य को जवाब दाखिल करने की स्थिति में नहीं है।

    दूसरी ओर, तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान द्वारा सरकारी जमीन के घोर दुरुपयोग के आधार पर लीज रद्द करने का बचाव करते हुए एडवोकेट जनरल अजय कुमार मिश्रा ने आरोप लगाया कि यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान कैबिनेट मंत्री के पद पर रहते हुए विभाग संभाल रहे थे। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने इसके अध्यक्ष की हैसियत से ट्रस्ट का नेतृत्व किया, जो हितों का टकराव था।

    आगे यह भी आरोप लगाया गया कि मिस्टर खान ने अनुसंधान संस्थान के लीज की शर्तों में बदलाव करने से पहले न तो कैबिनेट और न ही मुख्यमंत्री से आवश्यक मंजूरी ली। एडवोकेट जनरल ने यह भी तर्क दिया कि प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय विभिन्न अधिकारियों से उचित अनुमति और प्रमाणीकरण के बिना संचालित किया जा रहा था।

    राज्य की दलील का सार यह है कि 2005 में राज्य सरकार द्वारा मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को दिए गए लीज की शर्तों का उल्लंघन किया गया। तदनुसार, यह तर्क दिया गया कि लीज रद्द करने और परिसर को सील करने की राज्य की कार्रवाई वैध थी।

    पीठ इस मामले पर शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रखेगी।

    गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार ने यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान के नेतृत्व वाले मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को लीज शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए 3.24 एकड़ जमीन का पट्टा रद्द कर दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि मूल रूप से शोध संस्थान, स्कूल के लिए आवंटित किया गया था, संपत्ति पर चल रहा है। नियमानुसार लीज निरस्त होने के बाद जमीन का कब्जा स्वत: सरकार के पास चला जाता है।

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