सबूत इकट्ठा करना जांच एजेंसी का काम: दिल्ली कोर्ट

Brij Nandan

28 Nov 2022 9:07 AM GMT

  • सबूत इकट्ठा करना जांच एजेंसी का काम: दिल्ली कोर्ट

    दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने एक आर्मी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा कि सबूत इकट्ठा करना जांच एजेंसी का काम है और इसके लिए विस्तृत पुलिस जांच की जरूरत है क्योंकि यह शिकायतकर्ता की क्षमता से परे है।

    कोर्ट एक शिकायत पर सुनवाई कर रही थी जिसमें चोरी के इरादे से पार्क किए गए वाहन के साथ कथित तौर पर तोड़-फोड़ करने के आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।

    क्या है पूरा मामला?

    मामला अगस्त 2021 का है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के एक पत्रकार पीके सिंह की गाड़ी पार्किंग की जगह पर खड़ी थी। डॉक्टर डीजे चक्रवर्ती नाम के एक व्यक्ति पर आरोप है कि उनकी कार का ताला और विंडशील्ड तोड़कर कार चोरी करने की कोशिश की। आरोपी के खिलाफ सिंह ने प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी।

    सिंह ने आरोप लगाया कि जब शिकायतकर्ता ने आरोपी को अपराध स्थल पर रंगे हाथों पकड़ा, तो चक्रवर्ती ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और धमकी भी दी।

    कोर्ट ने क्या कहा?

    मामले की सुनवाई के दौरान मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट छाया त्यागी ने कहा कि इस अदालत की राय है कि साक्ष्य का संग्रह जांच एजेंसी का काम है और फैसला करना ट्रायल का विषय है।

    जज ने आगे कहा,

    "अपराध करने के तौर-तरीकों के साथ-साथ परिस्थितिजन्य और फोरेंसिक सबूतों को इकट्ठा करना शिकायतकर्ता की क्षमता से परे है।"

    शिकायतकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि शिकायतकर्ता उपलब्ध फोटो और वीडियो को फिर से साझा करने को तैयार है।

    पत्रकार की ओर से पेश एडवोकेट अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि शिकायतकर्ता ने क्षतिग्रस्त कार की तस्वीरें और वीडियो पहले ही पेश कर दी हैं और इसके बावजूद पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है।

    एडवोकेट दुबे ने आगे कहा कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण प्राथमिकी दर्ज करने में डेढ़ साल लग गए।

    वर्तमान मामले में, हालांकि अभियुक्त की पहचान शिकायतकर्ता को पता है, अपराध करने की कार्यप्रणाली के साथ-साथ परिस्थितिजन्य और फोरेंसिक साक्ष्य को इकट्ठा करना शिकायतकर्ता की क्षमता से परे है और इसके लिए एक विस्तृत पुलिस जांच की आवश्यकता है।

    जज ने कहा कि जांच अधिकारी को प्राथमिकी दर्ज करने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।

    अदालत ने इससे पहले मामले में कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) मांगी थी।


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