'इस मामले की जांच 4 सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी': बिहार सरकार ने शेल्टर होम मामले में पटना हाईकोर्ट को बताया

Brij Nandan

21 April 2022 12:00 PM GMT

  • इस मामले की जांच 4 सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी: बिहार सरकार ने शेल्टर होम मामले में पटना हाईकोर्ट को बताया

    बिहार सरकार (Bihar Government) ने गायघाट शेल्टर होम मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) को बताया कि इस मामले की जांच 4 सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी।

    सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने चीफ जस्टिस संजय करोल (Justice Sanjay Karol) और जस्टिस एस कुमार (Justice S Kumar) की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया,

    "इस मामले की जांच 4 सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी और पटना के एसपी द्वारा हलफनामे के माध्यम से स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।"

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मामले की जांच कर रही डीएसपी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार द्वारा इस मामले की जांच 4 सप्ताह में पूरी कर कोर्ट के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाए।

    महत्वपूर्ण रूप से, यह मानते हुए कि पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए, न्यायालय ने सदस्य सचिव, बिहार राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन पीड़ितों को उचित कानूनी व्यवस्था प्रदान की जाए, इस तथ्य के बावजूद कि इस संबंध में उन्हें एक गैर सरकारी संगठन द्वारा समर्थित किया जा रहा है।

    कोर्ट ने राज्य के समाज कल्याण विभाग समेत सभी संबंधित विभागों को अपने-अपने हलफनामा को रिकॉर्ड पर लाने को भी कहा था, जिसमें पीड़िता द्वारा 4 फरवरी, 2022 का बयान भी शामिल हो।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि फरवरी महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट ने गायघाट शेल्टर होम मामले में स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें जिसमें शेल्टर होम के एक कैदी ने आरोप लगाया कि महिलाओं को बेहोश करके अनैतिक कृत्यों के लिए खुद को प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया गया था।

    3 फरवरी को, मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने किशोर न्याय निगरानी समिति, पटना उच्च न्यायालय द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया और अतिरिक्त मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार से जवाब मांगा था।

    राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दोनों पीड़तों की ओर से महिला थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है। पीड़िता की संबंधित अधिकारियों के समक्ष जांच भी की गई।

    दूसरी तरफ, से राज्‍य सरकार की ओर से पक्ष रख रहे महाधिवक्‍ता ने इस मामले में पीडि़ता पर ही शक जताया था। उनका कहना था कि पीड़िता ने केअर होम को वर्ष 2021 के अगस्त महीने में ही छोड़ दिया था, लेकिन वह पहली बार जनवरी, 2022 में आरोप लगा रही है।

    कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट मीनु कुमारी पेश हुईं और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर पेश हुए थे।

    क्या है पूरा मामला?

    साल 2022 के फरवरी महीने की शुरुआत में समिति ने 31 जनवरी, 2022 के एक समाचार पत्र की रिपोर्ट पर विचार करते हुए, उत्तर रक्षा गृह (आफ्टर केयर होम), गाय घाट, पटना के मामलों को गंभीरता से लिया, जहां 260 से अधिक महिलाओं को रखा गया है।

    समिति ने एक बेसहारा महिला के बारे में हाल ही में समाचारों पर चर्चा की, जिसने आरोप लगाया है कि उसे और अन्य महिलाओं को बेहोश करके अनैतिक कृत्यों के लिए खुद को प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया गया था।

    आरोप लगाया कि आफ्टर केयर होम में रहने वाले पीड़ितों को भोजन और बिस्तर की बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं और उनमें से कई को घर छोड़ने की भी अनुमति नहीं है।

    आगे कहा कि अजनबियों को पीड़ितों के रिश्तेदारों के रूप में आने की इजाजत है जो ऐसी असहाय महिलाओं को अपने साथ लेकर जाते हैं। इससे उनके जीवन को और खतरा है।

    इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने 3 फरवरी की घटना का स्वत: संज्ञान लिया था।

    केस का शीर्षक - समाचार पत्र दिनांक 01.02.2022 की रिपोर्ट के मामले में आफ्टर केयर होम बनाम बिहार राज्य एवं अन्य

    कोरम: चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:




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