दिल्ली दंगों पर अदालत ने कहा, लगता है जांच एक ही पक्ष के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हो रही है

LiveLaw News Network

29 May 2020 11:12 AM GMT

  • दिल्ली दंगों पर अदालत ने कहा, लगता है जांच एक ही पक्ष के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हो रही है

    दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की की जाँच के बारे में दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह जांच एक ही पक्ष के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हो रही है और इस प्रकार अदालत ने संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को निष्पक्ष जाँच करने को कहा।

    अतिरिक्त सत्र जज धर्मेंद्र राणा ने कहा कि केस डायरी को पढ़ने के बाद यह परेशान करनेवाला तथ्य सामने आया है।

    जज ने संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) से कहा कि निष्पक्ष जाँच के लिए वे जाँच की निगरानी करें क्योंकि पुलिस अभी तक इस दंगे में दूसरे पक्ष का हाथ होने के बारे में क्या जाँच हुई है यह नहीं बता पाई है।

    अदालत ने जामिया मिल्लिया इसलामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ़ इक़बाल तनहा को न्यायिक हिरासत में भेजने संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। तनहा को ग़ैरक़ानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ़्तार किया गया है।

    अदालत ने यह भी कहा कि जाँच अधिकारी अभी तक यह नहीं बता पाया है कि दूसरे पक्ष के इस दंगे में हाथ होने के बारे में क्या जाँच हुई है।

    अदालत ने कहा,

    " केस डायरी पढ़ने के बाद बहुत ही परेशान करनेवाले तथ्यों का पता चलता है। ऐसा लगता है कि जाँच का एक ही उद्देश्य है। जाँच अधिकारी अभी तक यह नहीं बता पाया है कि दूसरे पक्ष की इस दंगों में क्या भूमिका थी और जाँच में क्या सामने आया है। इसलिए संबंधित डीसीपी से आग्रह किया जाता है कि निष्पक्ष जाँच के लिए वे इसकी निगरानी करें।"

    हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि विरोधी पक्ष कौन है। मामले की जानकारी रखनेवाले एक वक़ील ने बताया कि यहाँ तक कि सुनवाई के दौरान भी जज ने विरोधी पक्ष के बारे में सीधा सवाल किया।

    वक़ील ने आगे कहा कि जाँच अधिकारी ने भी यह नहीं बताया कि इसका तात्पर्य किससे और क्या था।

    पुलिस ने जब हिरासत में लेने की बात नहीं की तो बुधवार को अदालत ने तनहा को 25 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

    वक़ील सौजन्य शंकरन ने तनहा की पैरवी की और अदालत से कहा कि उसे इस मामले में फ़र्ज़ी तरीक़े से फँसाया गया है और आपराधिक षड्यंत्र में उसकी कोई भूमिका नहीं है।

    इस मामले में विश्वविद्यालय के अन्य छात्र गुल्फ़िशा ख़ातून, जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी के सदस्य सफ़ूरा ज़रगर, मीरन हैदर, जामिया अलम्नाई संघ के अध्यक्ष शिफ़ा-उर-रहमान, एएपी के निलंबित पार्षद तहिर हुसैन, पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद पर भी इसी क़ानून के तहत मामला दायर किया गया है।

    भड़काऊ बयान देने के लिए मार्च में बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ मामला दायर करने की कई अपील दिल्ली हाईकोर्ट से की गई थी।

    यह आरोप लगाया गया था कि उनके भड़काऊ भाषण के कारण ही फ़रवरी में पूर्वी दिली में दंगे फैले। पर आज तक इन लोगों के ख़िलाफ़ कोई एफआईआर दायर नहीं हुआ है। इस दंगे में कम से कम 53 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए थे।

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