अधिवक्ताओं के लिए बीमा योजना- बीमा कंपनियों के साथ बातचीत करके दो सप्ताह के अंदर फाइनल की जाए पाॅलिसी, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया दिल्ली सरकार को निर्देश

LiveLaw News Network

13 Aug 2020 1:21 PM GMT

  • अधिवक्ताओं के लिए बीमा योजना- बीमा कंपनियों के साथ बातचीत करके दो सप्ताह के अंदर फाइनल की जाए पाॅलिसी, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया दिल्ली सरकार को निर्देश

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह भारत की तीन शीर्ष राष्ट्रीयकृत बीमा कंपनियों - न्यू इंडिया इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस के साथ बातचीत करे और 2 सप्ताह के भीतर अधिवक्ताओं को ग्रुप-मेडिक्लेम प्रदान करने की नीति को अंतिम रूप दे।

    प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की एकल पीठ ने इन बीमा कंपनियों को बयाना राशि जमा करने (ईएमडी) और अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता से भी छूट दे दी है।

    अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि एडवोकेट्स को जीवन बीमा प्रदान करने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम के साथ बातचीत करें ताकि उन सभी अधिवक्ताओं को जीवन बीमा दिया जा सकें जो 74 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंचे हैं और दिल्ली में प्रैक्टिस कर कर रहे हैं।

    न्यायालय ने यह आदेश बार काउंसिल आॅफ दिल्ली की तरफ से दायर एक याचिका पर दिया है। जिसमें मांग की गई थी कि दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को बीमा कवरेज प्रदान करने की अपनी योजना को लागू करें।

    आज की कार्यवाही में, अदालत ने दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को देखा। जिसमें कहा गया था कि तकनीकी मूल्यांकन समिति ने 3 बड़ी बीमा कंपनियों के साथ-साथ एलआईसी द्वारा प्रस्तुत बोलियों को भी अस्वीकार कर दिया था क्योंकि इनमें से कोई भी कंपनी तकनीकी रूप से योग्य नहीं थी।

    दिल्ली सरकार के लिए पेश श्री सत्यकाम ने दलील दी कि,''बोली लगाने वाली किसी भी कंपनी ने बयाना राशि जमा कराने और अनुभव प्रमाण पत्र प्रदान करने की आवश्यकता को पूरा नहीं किया था।'

    दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासदेव ने तर्क दिया कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी नोटिस इन्वाइटिंग टेंडर (एनआईटी) में ईएमडी और अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए बहुत ही उच्च मानक निर्धारित किए गए थे।

    वासदेव ने तर्क दिया कि,'ये राष्ट्रीयकृत बीमा कंपनियाँ हैं, इनमें से प्रत्येक की शर्तें कमोबेश एक जैसी होती हैं। वे (दिल्ली सरकार) इनमें से किसी भी एक को चुन सकते हैं और नीति को अंतिम रूप देने के लिए आगे बढ़ सकते हैं। इसके अलावा देश में एलआईसी ही एकमात्र विश्वसनीय जीवन बीमा कंपनी है। ऐसे में इसे अस्वीकार करने से एक बुरा संदेश जाएगा।'

    पूर्व में जारी नोटिस का पालन करते हुए आज की सुनवाई में दिल्ली सरकार का प्रधान सचिव भी अदालत के समक्ष पेश हुआ। प्रधान सचिव ने अदालत को बताया कि ईएमडी की आवश्यकता को गारंटी के रूप में रखा गया था।

    इन प्रस्तुतियों के प्रकाश में, अदालत ने कहा कि अगर सभी बोली लगाने वाले को अस्वीकृत कर दिया जाएगा तो इससे वकीलों के लिए बीमा पाॅलिसी लेने में और देरी हो जाएगी।

    अदालत ने कहा कि,'महामारी को देखते हुए, समय पर बीमा जारी करना बेहद जरूरी है। दिल्ली सरकार द्वारा पारित की गई इस योजना को फलित होना या सफलतापूर्वक लागू होनी अभी बाकी है। ऐसे में इस योजना को इस तरह से अप्रभावी होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।'

    अदालत ने यह भी कहा कि बोली लगाने वालों द्वारा ईएमडी या अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने के विभिन्न कारण हो सकते हैं। 'वहीं 35 लाख रुपये ईएमडी अनुचित थी।'

    इसलिए अदालत ने ईएमडी और अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता को समाप्त करते हुए तकनीकी मूल्यांकन समिति को निर्देश दिया है कि इन 3 बड़ी बीमा कंपनियों के साथ मेडिक्लेम के लिए और एलआईसी के साथ जीवन बीमा के लिए बातचीत करें और 2 सप्ताह के भीतर इस नीति को अंतिम रूप दें। इसके अलावा अदालत ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (कानून) को इन वार्ताओं या बातचीत में भाग लेने का भी निर्देश दिया है।

    अदालत ने कहा कि,उक्त समिति द्वारा लिए गए निर्णय को संबंधित प्राधिकरण के समक्ष रखा जाए। वहीं तकनीकी मूल्यांकन समिति द्वारा आयोजित बैठक के मिनट्स के साथ अंतिम निर्णय को 28 अगस्त तक न्यायालय के समक्ष रखा जाए।

    साथ ही यह भी कहा कि,'हम अनुमोदित या अंतिम नीति के संचालन से पहले उसे देखना चाहते हैं।'

    यदि आवश्यक हो तो जीएनसीटीडी इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए एक सलाहकार नियुक्त करने के लिए स्वतंत्रत है।

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