'जमानत आदेश में प्राथमिकी के तथ्यों को प्रतिबिंबित करने के तरीके पर न्यायिक अधिकारियों को निर्देश जारी किया जाए': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने न्यायिक अकादमी को आदेश दिए
LiveLaw News Network
10 July 2021 11:19 AM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी के निदेशक को न्यायिक अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने का निर्देश दिया कि जमानत / अग्रिम जमानत प्रदान करते समय या इनकार करते समय जमानत आदेश में प्राथमिकी में दर्ज तथ्यों को प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार सांगवान की खंडपीठ ने यह देखते हुए आदेश दिया कि एक कथित डकैती मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने प्राथमिकी के तथ्यों पर ध्यान दिए बिना फैसला सुनाया कि हिरासत में पूछताछ की जरूरत है, चूंकि याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 395 के तहत अपराध का मामला दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने महत्वपूर्ण रूप से यह देखा कि निचली अदालत द्वारा पारित आदेश तय मानदंडों के खिलाफ इसके पक्ष में था।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि,
"यह कानून की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया है कि आदेश या निर्णय पारित करते समय एक न्यायाधीश को प्राथमिकी के तथ्यों, जमानत/अग्रिम जमानत मांगने वाले व्यक्ति की भूमिका, उसके पूर्ववृत्त और किए गए अपराध की गंभीरता पर ध्यान देना आवश्यक है और फिर जमानत/अग्रिम जमानत देने या खारिज करने के संबंध में कई फैसलों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के आलोक में एक राय बनाएं।"
संक्षेप में मामला
शिकायतकर्ता-चंदन कुमार के कहने पर प्राथमिकी दर्ज की गई कि वह पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय है और 14 जुलाई 2020 को वह एक घर पिज्जा डिलीवर करने गया था जहां 05 लड़के मौजूद थे।
आरोप है कि उसे देखते ही गाली गलौज करने लगे और कहने लगे कि वह बहुत देर से आया है और उससे पिज्जा व उसकी मोटरसाइकिल भी छीन ली।
शिकायतकर्ता ने इसके बाद पुलिस को सूचना दी और जब पुलिस मौके पर पहुंची तो चार लड़के पहले ही मोटरसाइकिल लेकर भाग गए थे, जबकि 5 वें लड़के प्रिंस को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था और जांच के दौरान उसने बयान में दूसरे व्यक्ति का नाम आकाश बताया था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
न्यायालय के समक्ष प्रस्तुतियां
याचिकाकर्ता के वकील ने शुरुआत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, गुरुग्राम द्वारा 1 जून, 2021 को पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि यह आदेश याचिकाकर्ता के खिलाफ है जो सोच समझकर पारित नहीं किया गया है और आदेश की उचित तथ्य के आधार पर नहीं दिया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि सह-आरोपियों में से एक ने अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था और सितंबर 2020 में प्राथमिकी में आरोप को देखते हुए उसे अंतरिम जमानत की रियायत दी गई थी, जिसे बाद में जनवरी 2021 में पुष्टि की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने आगे कहा कि गिरफ्तार किए गए अन्य सह-आरोपियों को पहले ही नियमित जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
राज्य के वकील ने इस तथ्यात्मक स्थिति पर विवाद नहीं किया कि आरोप एक पिज्जा और मोटरसाइकिल को छीनने के संबंध में थे जो पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके सह-आरोपियों से बरामद किए गए थे।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 12 अगस्त 2021 को सूचीबद्ध करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत दी। हालांकि याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है।
केस का शीर्षक- सुमित तंवर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य