दुर्लभ आनुवंशिक रोग के कारण बच्चे के जीवन को खतरा: कर्नाटक हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य संस्थान को तुरंत जांच के निर्देश दिए

LiveLaw News Network

2 Oct 2021 7:16 AM GMT

  • हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक

    कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य संस्थान, बेंगलुरु को एक डेढ़ साल के बच्चे की तत्काल जांच करने का निर्देश दिया, जो एक दुर्लभ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (टाइप 1) बीमारी से पीड़ित है।

    न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने निर्देश दिया,

    "बच्चे को आज ही डॉ जीएन संजीव द्वारा जांच के लिए निमहंस परिसर में ले जाया जाए। याचिकाकर्ताओं/अभिभावकों को उक्त डॉक्टर से ईमेल, या मोबाइल फोन या अन्यथा के माध्यम से संपर्क करने की अनुमति है। यदि याचिकाकर्ता के अभिभावक फोन करें या संदेश दें। उक्त डॉक्टर तुरंत इसका जवाब देंगे और जवाब न देने को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।"

    आगे कहा,

    "यदि डॉक्टरों के संबंधित प्रतिवादियों के लिए तर्कसंगत दोषी होने के कारण बच्चे को कुछ होता है, तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी बनाया जाएगा।"

    बच्चे के पिता (नवीन कुमार एन) के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यहां याचिकाकर्ता अपने जीवन को घातक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से बचाने और भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार का लाभ उठाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

    याचिका में कहा गया है कि बच्चे के पिता ने भारत के प्रधान मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के कार्यालय से संपर्क करने और जीवन रक्षक दवा खरीदने के उद्देश्य से धन जुटाने के लिए सभी प्रयास किए हैं।

    ऐसा कहा जाता है कि Zolgensma (Onaseminogene Abeparvovec) नामक दवा संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्मित होती है और इसकी कीमत 2.1 मिलियन अमरीकी डालर है, जो भारतीय मुद्रा में परिवर्तित होने पर लगभग 16 करोड़ रुपये है।

    याचिकाकर्ता का परिवार एक मध्यम वर्गीय पृष्ठभूमि से है और वे बच्चे के इलाज के लिए आवश्यक दवा के आयात के लिए धन जुटाने में असमर्थ हैं।

    हालांकि, क्राउडफंडिंग के जरिए 8.24 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई है।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रिंस इसाक ने कहा कि फरवरी से दोनों सरकारें बच्चे की गंभीर स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं। जिस चिकित्सा स्थिति में वह है, वह घातक होने की संभावना है। लेकिन दुर्भाग्य से दोनों सरकारों ने पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं दी है।

    केंद्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता एमएन कुमार ने दुर्लभ बीमारियों के संबंध में नीति को रिकॉर्ड में रखते हुए अदालत के समक्ष एक ज्ञापन दायर किया। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बच्चे को निमहंस के परिसर में स्थित इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य संस्थान, बेंगलुरु ले जाया जा सकता है और एक डॉ जीएन संजीव, एसोसिएट प्रोफेसर प्रथम दृष्टया बच्चे की जांच करेंगे और इसे विशेषज्ञ समिति को संदर्भित करेंगे।

    अदालत ने सहमति व्यक्त की और तदनुसार आदेश दिया। कोर्ट ने मामले में प्रगति को अद्यतन करने के लिए मामले को अब 7 अक्टूबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया है।

    केस का टाइटल: मास्टर जेनिश एन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया।

    केस नंबर: डब्ल्यूपी 17626/2021।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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