उत्तर प्रदेश में राजस्व न्यायालयों के लिए अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव से जवाब मांगा
LiveLaw News Network
26 Nov 2020 9:45 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें यूपी सरकार से पूछा गया है कि राज्य में रेवेन्यू कोर्ट को आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के लिए क्या कदम उठाए गए।
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने कहा,
"हम उत्तर प्रदेश राज्य के कार्यक्रमों और परियोजनाओं के बारे में अदालत को जानकारी देने के लिए याचिका की सामग्री का जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश देना उचित समझते हैं।"
खंडपीठ ने Chandra Bhan & Anr. v. Deputy Director of Consolidation, Gorakhpur & Ors. मामले में उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में स्पष्ट रूप से अवगत कराने को कहा है। साथ ही यूपी भूमि राजस्व अधिनियम से जुड़े मामलों के लिए एक अलग स्थायी राजस्व न्यायिक सेवा संवर्ग की स्थापना के लिए भी कहा।
मिर्जापुर के एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका में यह निर्देश दिया गया। इस याचिका में यह मांग की गई कि राजस्व न्यायालयों के लिए अपेक्षित बुनियादी ढाँचा और बैठने की उचित व्यवस्था और अन्य सुविधाएंं समान रूप से दीवानी न्यायालय की तरह उपलब्ध करवाई जाएंं।
उन्होंने डिवीजन बेंच को सूचित किया था कि वर्तमान में राजस्व न्यायालय जिस भवन में स्थित हैं, वह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और पर्याप्त रूप से नहीं बनाया गया है।
उन्होंंने बताया गया कि,
"अदालत के अधिकांश भवन में यहां तक कि बार रूम भी उपलब्ध नहीं हैं, हालांकि अधिकांश मामलों में पार्टियों को उनके काउंसल द्वारा दर्शाया जाता है।"
उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि अधिकांश अदालतें जिनकी अध्यक्षता अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, उप न्यायिक मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और अन्य सहायक अधिकारी यूपी राजस्व संहिता, 2006 के तहत कर रहे हैं, के पास न्यायिक कार्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा नहीं है। इसलिए, उन्होंने सरकार से समेकन न्यायालयों को कंप्यूटर / लैपटॉप और पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश मांगा था।
उपर्युक्त प्रस्तुतियाँ के मद्देनजर, और यह देखते हुए कि सरकार 2019 के बाद से इस मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने में विफल रही है, न्यायालय ने अब राज्य के मुख्य सचिव को याचिका की सामग्री का जवाब देने का निर्देश दिया है।
यह मामला अब 7, 2020 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस वर्ष जनवरी में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्थानीय अदालतों के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और अपने परिसर में पर्याप्त सुरक्षा तैनात करने के लिए लगातार आदेशों के माध्यम से दिशा-निर्देश जारी किए थे।