"सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट को COVID19 के मद्देनज़र नाबालिगों की भौतिक उपस्थिति की मांग नहीं करनी चाहिए" : दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
20 July 2020 2:20 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें अदालत से यह निर्देश देने की मांग की गई है कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 164 के तहत 'देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों' के बयान मजिस्ट्रेट द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज किए जाएं और इसके लिए बच्चों की भौतिक उपस्थिति को समाप्त कर दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की डिवीजन बेंच ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस आयुक्त सहित अन्य को नोटिस जारी किया है और उनसे एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
बच्चन बचाओ आंदोलन द्वारा दायर, वर्तमान रिट याचिका में दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश जारी करने की मांग की गई है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत COVID19 संक्रमण से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न अधिकारियों द्वारा सभी कार्यवाही।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि
"जब कड़कड़डूमा कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअल सुनवाई की जा रही है तो पुलिस को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए शारीरिक रूप से बच्चों को अदालत ले जाने की आवश्यकता क्यों होती है।"
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि किसी भी प्राधिकारी को आदेश नहीं दिया जाए कि वह चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट से बच्चों को शारीरिक रूप से बाहर ले जाए और कानून के अनुसार उसकी प्रतिपूर्ति करे।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि
'बच्चों को सरकारी अस्पतालों में ले जाने के बजाय, चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट में ही उनका COVID19 टेस्ट किया जाना चाहिए।"
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार को उपाय करने के लिए एक निर्देश जारी करने की मांग की और कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र बनाया जाए कि रेस्क्यू बच्चे को चाइल्ड कैयर होम भेजे जाने से पहले जल्द से जल्द उसका COVID19 परीक्षण किया जाए।
राज्य के लिए पेश होते हुए श्री समीर वशिष्ठ ने प्रस्तुत किया कि याचिका की मांग पर अधिकारियों को आपत्ति नहीं है।
हालांकि, श्री वशिष्ठ ने तर्क दिया कि वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट रिकॉर्डिंग बयानों के मुद्दे पर निर्देश लेना चाहते हैं।
अदालत इस मामले को अब 28 जुलाई को उठाएगी।
इस मामले में याचिकाकर्ता संगठन का प्रतिनिधित्व सुश्री प्रभसहाय कौर द्वारा किया जा रहा है।