डिजिटल युग में, विभिन्न राज्यों में काम करने वाले कर्मचारियों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों में 'एक कार्य स्थल' के रूप में माना जाएगाः राजस्थान हाईकोर्ट | In Digital Era, Employees Working In Different States To Be Treated As 'One Work Place' For Purposes Of Sexual Harassment At Workplace:...

डिजिटल युग में, विभिन्न राज्यों में काम करने वाले कर्मचारियों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों में 'एक कार्य स्थल' के रूप में माना जाएगाः राजस्थान हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

13 Jan 2021 7:00 AM

  • राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट 

    राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल युग में, अभियुक्त से अलग राज्य में शिकायतकर्ता की पोस्टिंग कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले में अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने में बाधा नहीं होगी।

    न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकल पीठ ने कहा कि,''वर्तमान डिजिटल दुनिया बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए, जो पहले एक ही शाखा में काम कर चुके हैं और बाद में विभिन्न शाखाओं में स्थानांतरित हो गए हैं जो अलग-अलग राज्यों में स्थित हो सकती हैं, उन्हें डिजिटल प्लेटफार्म पर पूरी तरह से एक कार्य स्थल के रूप में माना जाएगा।''

    पृष्ठभूमि

    न्यायाधीश बैंक ऑफ बड़ौदा के एक मुख्य प्रबंधक द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे,जिन पर एक अधीनस्थ कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस अधिकारी ने बैंक के अनुशासनात्मक प्राधिकरण द्वारा जारी की गई चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी।

    याचिकाकर्ता ने कहा था कि प्राधिकरण के पास निम्नलिखित कारणों से इस मामले में अधिकार क्षेत्र नहीं हैः

    1. याचिकाकर्ता एक अलग राज्य में काम कर रहा है, जबकि शिकायतकर्ता जिसने यौन उत्पीड़न के लिए शिकायत दर्ज की है, वह दूसरे राज्य में काम कर रही है।

    यह तर्क दिया गया था कि बैंक ऑफ बड़ौदा आॅफिसर इम्प्लाॅइई (डिसप्लिन एंड अपील) रेगुलेशन, 1976 के संदर्भ में, जांच तभी शुरू की जा सकती है जब याचिकाकर्ता ने कार्य स्थल पर कोई यौन उत्पीड़न किया हो। चूंकि याचिकाकर्ता शिकायतकर्ता से अलग स्थान पर है, इसलिए याचिकाकर्ता को चार्जशीट जारी नहीं की जा सकती थी और न ही कोई भी जांच की जा सकती है।

    2. चार्जशीट में अश्लील संदेश भेजने से संबंधित आरोप लगाए गए है,परंतु वह संदेश कार्यालय का समय खत्म होने के बाद भेजे गए थे,इसलिए, चार्जशीट भी गलत है और जांच भी नहीं की जा सकती है।

    निष्कर्ष

    न्यायालय ने कहा कि वर्तमान डिजिटल दुनिया में, विभिन्न शाखाओं/ राज्यों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल को पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ''एक कार्य स्थल'' के रूप में माना जाता है। कोर्ट ने माना कि,

    ''अगर कोई व्यक्ति जयपुर में तैनात है और एक अन्य महिला को परेशान के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कार्य करता है, जो एक अलग राज्य में तैनात है, तो यह एक सामान्य कार्य स्थान पर परेशान किए जाने के दायरे में आएगा।''

    याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए दूसरे विवाद को खारिज करते हुए, न्यायालय ने कहा कि यदि काम के घंटों के बाद भी संदेश भेजे जाते हैं, तो इससे उत्पीड़न होता है और प्रथम दृष्टया रेगुलेशन 1976 के तहत कदाचार के दायरे में आएगा।

    मामले के तथ्यों को देखते हुए फिर भी, अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता मुख्य प्रबंधक का पद संभाल रहा था और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के लिए कार्य करने के समय को केवल सुबह 10.30 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच का नहीं माना जा सकता है।

    केस का शीर्षकः संजीव मिश्रा बनाम बैंक ऑफ बड़ौदा व अन्य

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