कानून की जानकारी न होना कोई बहाना नहीं हो सकता : केरल हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
16 Aug 2020 11:47 AM IST
केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि 'कानून की जानकारी न होना कोई बहाना नहीं हो सकता।' हाईकोर्ट ने यह बात जर्मनी के उस नागरिक को कही जिसने दलील दी थी कि उसे ऐसा लगा था कि उसे भारत की नागरिकता स्वाभाविक रूप से हासिल हो चुकी है।
रोनाल्ड मोएजल के खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(1)(सी) और विदेशी नागरिक अधिनियम की धारा 14(ए) एवं (सी) के साथ पठित धारा 3 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसके बाद उसने अग्रिम जमानत के लिए केरल हाईकोर्ट से गुहार लगायी थी। कोर्ट के समक्ष उसने दलील दी कि वह जर्मनी का नागरिक है और उसने जर्मनी के 2011 तक वैध पासपोर्ट पर भारत की यात्रा की थी। बाद में उसने एक कंपनी शुरू की। उसने कंपनी एवं खुद के नाम का पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) बनवा लिया था। उसने दलील दी कि उसकी नागरिकता पर सवाल किये बिना आसानी से उसका पैन कार्ड और आधार कार्ड बन गया था। इसके बाद उसने मान लिया था कि उसे भारत की नागरिकता स्वाभाविक तौर पर हासिल हो चुकी थी।
इस दलील पर न्यायमूर्ति अशोक मेनन ने कहा :
" कानून की जानकारी न होना कोई बहाना नहीं हो सकता। उसे (जर्मन नागरिक को) भारत की नागरिकता हासिल करने के बारे में किसी ज्ञानवान व्यक्ति से सम्पर्क करना चाहिए था। इसलिए, भारत में उसका लगातार रहना निश्चित तौर पर पर उपरोक्त प्रावधानों का उल्लंघन है।"
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इन कानूनों के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए अधिकतम सजा सात साल से कम है, इसलिए फुल बेंच के फैसले का लाभ याचिकाकर्ता के हक में होगा। बेंच ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता के फरार होने की संभावना नहीं है, इसलिए वह कठोर शर्तों के साथ अग्रिम जमानत देने के पक्ष में है।
कोर्ट ने जर्मन नागरिक को दो सप्ताह के भीतर जांच अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि उसकी गिरफ्तारी होती है तो उसे एक लाख रुपये के जमानती बांड और अलग-अलग इतनी ही राशि के दो मुचलकों की शर्त पर जमानत पर रिहा कर दिया जायेगा। जांच अधिकारी की संतुष्टि के लिए ये जमानतदार विशेष तौर पर लक्षद्वीप से होंगे। उस पर आमतौर पर लगायी जाने वाली जमानत शर्तें भी थोपी गयी हैं।
केस का नाम : रोनाल्ड मोएजल बनाम केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप
केस नं. : जमानत याचिका संख्या 4708/2020
कोरम : न्यायमूर्ति मेनन
वकील : एडवोकेट एम. आर. सरीन और एससीजीसी मैनुअल एस