"अगर एक साल की बच्ची सुरक्षित नहीं होगी तो समाज में तबाही मच जाएगी": मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के दोषी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

LiveLaw News Network

18 Dec 2021 5:58 AM GMT

  • अगर एक साल की बच्ची सुरक्षित नहीं होगी तो समाज में तबाही मच जाएगी: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के दोषी की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

    Madhya Pradesh High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक साल की बच्‍ची से बलात्कार के एक दोषी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए कहा, "अगर एक साल की बच्ची समाज में सुरक्षित नहीं होगी तो समाज में तबाही मच जाएगी। ऐसी घटनाओं से पूरी गंभीरता से निपटा जाना चाहिए ।"

    जस्टिस जीएस अहलूवालिया और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ दोषी मूलचंद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, सेवढ़ा, जिला दतिया द्वारा पारित फैसले और सजा को चुनौती दी ‌थी। मूलचंद को आईपीसी की की धारा 376(2)(f) के तहत दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

    अदालत ने मामले की सभी परिस्थितियों के विश्लेषण और रिकॉर्ड में रखे गए सबूतों को ध्यान में रखकर निष्कर्ष दिया कि अभियोजन पक्ष एक उचित संदेह से परे यह स्थापित करने में सफल रहा है कि अपीलकर्ता एक साल की बच्ची को अपने साथ ले गया, बलात्कार किया और उसे उसके घर छोड़ दिया।

    कोर्ट ने यह भी नोट किया कि बच्‍ची के अंगों से रक्तस्राव भी देखा गया था। चिकित्सा साक्ष्य में पाया गया कि पेरिनेम में एक घाव था और चिकित्सा जांच के समय भी घाव से खून बह रहा था। हाइमन फटा हुआ था।

    इसे देखते हुए कोर्ट का विचार था कि एक वर्षीय पीड़िता के शरीर पर मौजूद चोटों के निशान बलात्कार के संकेत देते हैं। अदालत ने माना कि अपीलकर्ता एक वर्षीय बच्ची से बलात्कार का दोषी है। इस प्रकार, आईपीसी की धारा 376 (2) (एफ) के तहत उनकी सजा की पुष्टि की गई।

    सजा के सवाल पर कोर्ट ने कहा,

    " ...अपीलकर्ता ने लगभग एक वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार किया है। यदि एक वर्ष की लड़की समाज में सुरक्षित नहीं होगी तो समाज में तबाही मच जाएगी। ऐसी घटनाओं से सभी को गंभीरता से निपटना होगा। निवारक सजा नीति है, इसलिए यह न्यायालय ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा में कोई अवैधता नहीं पाता है। आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा जाता है।"

    इस प्रकार अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित निर्णय और सजा की हाईकोर्ट ने पुष्टि की थी।

    कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि बलात्कार के मामलों को पूरी संवेदनशीलता के साथ संभाला जाना चाहिए और एक अभियोक्ता से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह प्रत्येक कृत्य का सूक्ष्म विवरण देकर पापपूर्ण कृत्य की विस्तार से व्याख्या करे। अदालत ने यह भी कहा कि एक अभियोक्ता के लिए पूरी घटना का कुछ शब्दों में वर्णन करना बहुत आसान है और इस प्रकार, उसे घटना को विस्तार से समझाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

    केस शीर्षक - मूलचंद बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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