" अगर बच्चे माता-पिता को शांति से रहने नहीं दे सकते तो कम से कम उनके जीवन को नर्क न बनाएं" बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी एक बेटी को चेतावनी
LiveLaw News Network
10 Jun 2020 1:38 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को सरिता सोमकुंवर नामक महिला को कड़ी चेतावनी दी। इस महिला पर अपनी ही बुजुर्ग मां को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने इस महिला को चेताते हुए कहा है कि अगर उसके खिलाफ एक और शिकायत आ गई तो उसे उस फ्लैट में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जहां इस समय वह अपने 19 वर्षीय बेटे और मां के साथ रह रही है।
न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तवाडे की खंडपीठ ने 70 वर्षीय रजनी सोमकुंवर की तरफ से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह चेतावनी दी है। इस याचिका में बुजुर्ग महिला ने आरोप लगाया था कि उसकी तलाकशुदा बेटी सरिता अपने 19 वर्षीय बेटे के साथ जबरन उसके फ्लैट में रहती है। वह उसे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से प्रताड़ित करती है। रजनी ने कहा कि उक्त फ्लैट से उसकी बेटी को बेदखल किया जाए।
इससे पहले याचिकाकर्ता मां ने 16 मार्च, 2020 को सरिता को बेदखल करने के लिए मेंटेनंस ट्रिब्यूनल फाॅर पैरेंट्स एंड सीनियर सिटिजनस के उप-मंडल अधिकारी के समक्ष माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 4 के तहत एक आवेदन दायर किया था। हालांकि, लॉकडाउन के कारण, ट्रिब्यूनल उसकी अर्जी पर विचार नहीं कर पाया। जिसके चलते उसे वर्तमान रिट याचिका दायर करनी पड़ी।
याचिकाकर्ता के अनुसार जब सरिता एक किशोरी थी,तब भी वह गलत कामों में लिप्त थी। उसके आपराधिक पृष्ठभूमि वाले दोस्त थे। याचिकाकर्ता और उनके पति ने लगातार सरिता को समझाने की कोशिश की और अक्सर उसके आचरण के संबंध में उसे फटकार लगाते थे। हालांकि, सरिता ने कभी भी उनकी सलाह पर ध्यान नहीं दिया।
वर्ष1998 में सरिता अपने पुरुष मित्र रितेश देवकर के साथ फरार हो गई, जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि थी। उसने उससे शादी कर ली और वसई में रहने लगी। फरवरी 2000 के आसपास रितेश को एक घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। उसने गरीब लोगों को दुबई में नौकरी दिलाने का वादा करके उनसे पैसे ठग लिए थे।
सरिता और रितेश के बीच लगातार झगड़ों के कारण, रितेश वसई के अपने घर से भाग गया और वह घर उसने गिरवी रखा हुआ था। जिस कारण सरिता और उसका बेटा अकेले रह गए। उसके बाद सरिता ने सहायता मांगने के लिए अपनी बहन कविता से संपर्क किया। वह सीधे तौर पर माता-पिता से सहायता मांगने में घबरा रही थी क्योंकि उसको पता था कि माता-पिता हमेशा उसकी गलत हरकतों के खिलाफ थे। कविता के कहने पर, याचिकाकर्ता और उनके पति ने सरिता को कुछ दिनों के लिए उक्त फ्लैट में उनके साथ रहने की इजाजत दे दी। यह इजाजत इस शर्त पर दी गई थी कि जब तक उसको कोई उपयुक्त जगह नहीं मिल जाती है,तब तक वह उन लोगों के साथ रह सकती है।
हालांकि, एचडीएफसी बैंक में नौकरी मिलने के बाद भी, सरिता ने उक्त फ्लैट छोड़ने से इनकार कर दिया। इसके बजाय उसने याचिकाकर्ता और उसके पति के खिलाफ अपनी बहन कविता को ही उकसाना शुरू कर दिया और परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की। याचिकाकर्ता के पति ने अपनी बेटी सरिता को उक्त फ्लैट छोड़ने के लिए कहा परंतु सरिता ने उक्त फ्लैट छोड़ने के बजाय अपने पिता को धमकी देते हुए कहा कि, ''अगर तुम मुझे घर छोड़ने के लिए मजबूर करोगे तो मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कर दूंगी कि तुम मेरे साथ छेड़छाड़ कर रहे हो।''
इसके बाद से सरिता की प्रताड़ना जारी रही और एक बार उसने जानबूझकर फर्श पर दूध गिरा दिया ताकि उसके पिता को चोट लग जाए। इस घटना में उसके पिता फिसल कर गिर गए और उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया। अंततः 26 जनवरी, 2011 को उनका निधन हो गया।
अपने पिता की मृत्यु के बाद भी सरिता ने अपनी माँ के प्रति अपने उत्पीड़न को तेज कर दिया। वह बार-बार उससे पैसों की मांग करती थी और न देने पर उसे प्रताड़ित करती थी।
अंत में फरवरी, 2020 में याचिकाकर्ता की बेटी वैशाली सिंगापुर से भारत आई और याचिकाकर्ता से मिलने के बाद उसकी हालत देखकर वह हैरान रह गई। याचिकाकर्ता ने अपनी दुर्दशा के बारे में वैशाली से बात करने की हिम्मत जुटाई। जब वह अकेली थी तब उसने वैशाली को बताया कि सरिता उसके साथ कैसा व्यवहार करती है। याचिकाकर्ता ने बताया कि कैसे सरिता उसे पीटती है, उसे बिना कपड़ों के रखती है है और उसे दिन में केवल एक बार भोजन देती है। कैसे खाना पूरा खत्म करने से पहले ही उसकी थाली छीन लेती है।
बाद में वैशाली की मदद से याचिकाकर्ता ने 22 फरवरी, 2020 को मुंबई के समता नगर पुलिस स्टेशन में सरिता के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की करवाई थी।
इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से वकील साहिल दीवानी व साथ में अधिवक्ता श्याम दीवानी पेश हुए और सरिता की तरफ से अधिवक्ता अमरेन्द्र मिश्रा पेश हुए।
मिश्रा ने याचिकाकर्ता के आरोपों का खंडन किया और कहा कि यह उसके मुवक्किल की बहन वैशाली है, जो मां को उसके खिलाफ उकसा रही है। क्योंकि वैशाली चाहती है कि सरिता उक्त फ्लैट को छोड़ दे, जहां वह पिछले 20 सालों से रह रही है।
पीठ ने याचिकाकर्ता, उसकी सबसे छोटी बेटी वैशाली और सरिता से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात भी की। कोर्ट ने कहा-
''हम बिल्कुल भी इस दलील से सहमत नहीं हैं कि याचिकाकर्ता मां ने वैशाली के कहने पर एक्ट की धारा 4 के तहत प्रतिवादी नंबर दो ट्रिब्यूनल के समक्ष आवेदन दायर किया था। याचिकाकर्ता मां से बात करने के बाद, हमें महसूस हुआ है कि अगर सरिता को फ्लैट से नहीं निकाला गया तो उसके साथ रहने में याचिकाकर्ता को शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना का गंभीर खतरा है। इतना ही नहीं उसे सरिता से अपनी जान को भी खतरा है।
हालाँकि, महामारी और इसके परिणामस्वरूप होने वाली समस्याओं को देखते हुए, हम अभी सरिता को वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश नहीं दे रहे हैं। हालाँकि, हम सरिता और उसके बेटे को इस बात की कड़ी चेतावनी देते हैं कि यदि दोनों में से किसी ने भी याचिकाकर्ता का किसी भी तरह का उत्पीड़न किया और उसका अपने ही फ्लैट में रहना मुश्किल किया तो हम उन्हें उक्त फ्लैट में प्रवेश करने से रोक देंगे,जिसमें वह इस समय याचिकाकार्त के साथ रह रहे हैं। भले ही पिता के उत्तराधिकारी के रूप में उक्त फ्लैट में एक छोटा हिस्सा सरिता का भी क्यों न बनता हो।''
कोर्ट ने संबंधित स्थानीय पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक को निर्देश दिया है कि वह जरूरत पड़ने पर याचिकाकर्ता को आवश्यक सहायता प्रदान करें।
कोर्ट ने कहा कि-
''हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल नहीं कर सकते हैं तो उन्हें शांति से रहने की अनुमति दे दें। कम से कम उनके जीवन को एक जीवित नरक न बनाएं।''
कोर्ट ने याचिकाकर्ता और सरिता,दोनों को स्वतंत्रता दी है कि वह चाहें तो बेडरूम और बाथरूम के अलावा फ्लैट के सभी सामान्य क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगा सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 16 जून को होगी।
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