क्या दहेज देने से बेटी का परिवार की संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाता है? हाईकोर्ट ने दिया जवाब
Brij Nandan
22 March 2023 2:01 PM IST
"बेटी का परिवार की संपत्ति पर अधिकार केवल इसलिए समाप्त नहीं हो जाता, क्योंकि उसकी शादी के समय दहेज दिया गया था। इसका मतलब ये हुआ कि अगर बेटी को शादी के समय दहेज दिया गया है, तो भी वो परिवार की संपत्ति पर अधिकार मांग सकती है।"
हाल ही में एक मामले में सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने ये बात कही।
जस्टिस एम एस सोनक की बेंच ने कहा कि अगर ये मान भी लिया जाए कि बेटियों को शादी के समय कुछ दहेज दिया गया था, इसका मतलब ये नहीं है कि बेटियों का परिवार की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं रह जाता।
पूरा मामला क्या है?
ये मामला परिवार की संपत्ति के बंटवारे से जुड़ा हुआ है। अपीलकर्ता अपने माता-पिता की सबसे बड़ी बेटी है और उसकी तीन बहनें और चार भाई हैं। अपीलकर्ता के मुताबिक उसके पिता की मृत्यु के बाद अपीलकर्ता को उसकी संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था. हालांकि उसकी मां और दो भाइयों ने मिलकर बहनों को बिना बताए उसकी पारिवारिक संपत्ति यानी दुकान को अन्य दो भाइयों को दे दिया। इसके खिलाफ अपीलकर्ता ने मुकदमा दायर किया। और कहा कि दुकान पारिवारिक संपत्ति है। इसलिए दुकान पर उसका भी अधिकार है।
चार भाइयों और मां का कहना था कि शादी के समय चारों बेटियों को कुछ दहेज दिया गया था। इसलिए वे परिवार की संपत्ति पर अधिकार नहीं मांग सकती।
भाइयों ने ये भी दावा किया कि दुकान पारिवारिक संपत्ति नहीं है क्योंकि इसे तीनों भाइयों और पिता ने मिलकर खरीदा था।
मामले में ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ती की याचिका खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ अपीलकर्ती ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रूख किया।
भाइयों का कहना है कि बहन का संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं वैसे भी लिमिटेशन एक्ट के तहत मौजूदा कार्यवाही रोक दी गई थी। क्योंकि एक्ट में डीड पूरी होने के बाद मुकदमा तीन महीनों में दायर करना होता है। है। ट्रांसफर डीड 1990 में हुई है और मुकदमा 1994 में किया गया है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्हें इसके बारे में 1994 में पता चला और बाद में इसे लेकर सिविल कोर्ट में कार्यवाही शुरू हुई।
इसपर जस्टिस सोनक ने कहा कि अपीलकर्ता ने पहले ही बताया कि उन्होंने डीड के बारे में पता चलने के 6 सप्ताह में ही मुकदमा किया था।
उन्होंने आगे कहा, ‘पिता के निधन के बाद बेटियों के अधिकारों को जिस तरह से खत्म किया गया है, वैसे खत्म नहीं किया जा सकता। मामले में वैसे भी ये साफ नहीं हो सका कि चारों बेटियों को पर्याप्त दहेज दिया गया था या नहीं।
कोर्ट ने ट्रांसफर डीड को रद्द कर दिया और कहा कि अपीलकर्ता का भी दुकान यानी परिवार की संपत्ति पर अधिकार है।
मामला संख्या - दूसरी अपील संख्या 89 ऑफ 2005
केस टाइटल - तेरेज़िन्हा मार्टिन्स डेविड बनाम मिगुएल गार्डा रोसारियो मार्टिन्स और अन्य।